क्यों बनता है गोवर्धन पूजा में अन्नकूट? जानें इसका महत्व

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व दीवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल दीवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। वहीं, गोवर्धन पूजा दिन शनिवार, 2 नवंबर को मनाई जाएगी। यह दिन इंद्र देव पर भगवान कृष्ण की विजय के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ अवसर (Govardhan Puja 2024) पर लोग अपने-अपने घरों में गोबर और साबुत अनाज से कृष्‍ण भगवान और गोवर्धन पर्वत को बनाते हैं और उनकी पूजा करते हैं, जब इस दिन को कुछ ही दिन शेष रह गए हैं, तो आइए इस महापर्व से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

क्या है अन्नकूट?
ऐसा कहा जाता है कि इस शुभ अवसर पर लोग 56 व 108 तरह के पकवान बनाकर कान्हा को चढ़ाते हैं और उनकी विधिवत पूजा करते हैं। इन्हीं पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहा जाता है। इसके बिना इस दिन की पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में हर किसी को इस त्योहार पर अपने घरों में अन्नकूट अवश्य बनाना चाहिए।

अन्नकूट में होती हैं ये चीजें
इस दिन बनने वाले अन्नकूट में कई तरह की सब्जियां (मिक्स सब्जी), कढ़ी-चावल, खीर, मिठाईयां, रबड़ी, पेड़े, पुवा, मक्खन, मिश्री, पूड़ी आदि तरह-तरह की चीजें बनाई जाती हैं और श्रीकृष्ण को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है।

क्यों गोवर्धन पूजा में अन्नकूट बनाया जाता है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गोवर्धन पूजा (अन्नकूट पर्व) के दिन मुरलीधर ने देवराज इंद्र के अभिमान को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था और गोवर्धन पर्वत के नीचे समूचे वृंदावनवासियों को शरण देकर उनकी भारी बारिश से रक्षा की थी। इसके साथ ही लोगों तक यह सीख भी पहुंचाई थी कि प्रकृति से मिलने वाली हर चीजें कितनी अहम और महत्वपूर्ण हैं। साथ ही गोवर्धन पूजा की शुरूआत की थी।
तभी से लोग इस मौके पर गोबर और साबुत अनाज से भगवान कृष्‍ण और गोवर्धन पर्वत के चित्र को बनाकर उनकी उपासना करते हैं और अन्नकूट बनाकर उसका भोग लगाते हैं।

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