क्यों इतनी खास मानी जाती है पोंगल की खीर

पोंगल का पर्व (pongal dates 2025) 04 दिनों तक चलता है जिसकी शुरुआत भोगी पोंगल से होती है। इस साल पोंगल की शुरुआत 14 जनवरी से हो चुकी है। पोंगल पर्व के दूसरे दिन यानी थाई पोंगल पर खीर बनाने का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन पोंगल संक्रांति का क्षण – सुबह 09 बजकर 03 मिनट तक रहने वाला है।

पोंगल (Pongal 2025) का पर्व तमिल नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। साथ ही यह पर्व अच्छी फसल के लिए सूर्य देव का आभार प्रकट करने के लिए भी मनाया जाता है। साथ ही इस पर्व को फसल की अच्छी पैदावार और संपन्नता के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। चलिए जानते हैं पोंगल की खीर से संबंधित कुछ खास बातें।

पोंगल के 4 विशेष दिन
पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और इंद्र देव की पूजा अर्चना करते हैं। वहीं दूसरे दिन को थाई पोंगल (Thai Pongal 2025) कहा जाता है जो पोंगल का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन नई फसल के चावलों को उबालकर खीर बनाई जाती है, जिसका भोग भगवान सूर्य को लगाया जाता है।

साथ ही अच्छी फसल के लिए कामना की जाती है। पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल कहलाता है, और इस दिन मवेशियों (जानवरों) को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। पोंगल का आखिरी दिन कानुम पोंगल होता है, जिसे कन्नुम नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गन्ने, दूध, चावल, घी आदि से पकवान बनाकर सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है।

खीर है बहुत ही खास (Pongal Kheer significance)
पोंगल के दूसरा दिन यानी थाई पोंगल के दिन विशेष रूप से एक खीर तैयार की जाती है। इस दिन एक बड़े मिट्टी के बर्तन में नई फसल के चावल, दूध और गुड़ डालकर खीर बनाई जाती है। इस खीर को खुले स्थान पर तब तक पकाया जाता है, जब तक कि उस मिट्टी के पात्र से खीर बाहर न गिरने लगे।

इस प्रक्रिया को सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। इस खीर का भोग सबसे पहले सूर्यदेव को लगाया जाता है और उन्हें अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट किया जाता है। इसके बाद लोग इस खीर को केले के पत्ते पर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। खीर के अलावा सूर्यदेव को गन्ना, केला व नारियल आदि भी प्रसाद के रूप में अर्पित किए जाते हैं।

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