अमेरिकी सरकार ने हाल ही में एक नई वीजा पॉलिसी अनाउंस की है, जिसके तहत अब उन विदेशी अधिकारियों को वीजा नहीं दिया जाएगा जो अमेरिकी नागरिकों के सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर करने की ट्राई कर रहे हैं। दरअसल इसका मकसद अमेरिकी टेक कंपनियों जैसे एक्स, मेटा और रंबल को इंटरनेशनल लेवल पर मिल रहे सेंसरशिप के दबाव से राहत दिलाना है। यह पॉलिसी सीधे उन देशों के अधिकारियों को टारगेट करती है जो अमेरिकी टेक प्लेटफॉर्म से अपने स्थानीय कानूनों के बेस पर कंटेंट हटाने या सेंसर करने की डिमांड करते हैं। चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं…
अमेरिका क्यों लाया ये नई पॉलिसी?
दूसरे देशों की सरकारों द्वारा अमेरिकी प्लेटफॉर्म पर मौजूद कंटेंट को लेकर सख्ती के बाद विदेश मंत्री मार्को रुबियो के नेतृत्व में यह नई पॉलिसी लाई गई है। ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अलेक्जेंड्रे डी मोरेस द्वारा एक्स पर बैन और रंबल के खिलाफ कार्रवाई ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं।
दूसरे देश नहीं रख सकते ऐसी मांग
रुबियो का कहना है कि यह एक्सेप्टेबल नहीं है कि विदेशी अधिकारी यह डिमांड करें कि अमेरिकी प्लेटफॉर्म अपने कंटेंट मॉडरेशन में उनकी पॉलिसी को फॉलो करे। उन्होंने यह साफ कर दिया है कि ब्राजील के न्यायमूर्ति मोरेस की कार्रवाइयां अमेरिकी टेक कंपनियों की संप्रभुता के लिए खतरा हैं।
सिर्फ ब्राजील जैसे देशों तक नहीं है सीमित
बता दें कि अमेरिका की ये पॉलिसी सिर्फ ब्राजील जैसे देशों तक सीमित नहीं है। जर्मनी और यूके जैसे सहयोगी देशों ने भी सोशल मीडिया पर गलत जानकारी और अभद्र भाषा को लेकर कड़े कानून बना रखें हैं। जर्मनी का NetzDG कानून तो प्लेटफॉर्म को 24 घंटे के अंदर इललीगल कंटेंट हटाने को बाध्य करता है। ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन और वाईस प्रेजिडेंट जेडी वेंस ने इन कानूनों को मुक्त अभिव्यक्ति के अगेंस्ट बताया है।