रेलवे की प्रीमियम ट्रेन और फ्लेक्सी फेयर स्कीम लगभग फ्लॉप साबित हो रही है. प्रीमियम के नाम पर किराये में बस लूट हो रही और इससे कोई भी खुश नहीं दिख रहा. इसलिए अचरज की बात नहीं कि रेलवे ने पिछले साल दिवाली से पहले 47 ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर स्कीम को खत्म कर दिया था.
रेलवे ने इस बारे में बदलाव की शुरुआत की है. देखना यह है कि वित्त मंत्री इसके बारे में आगे कदम उठाते हुए बजट में क्या घोषणा करती हैं? वित्त मंत्री के सामने यह संतुलन बनाने की चुनौती है कि रेलवे की इनकम भी बढ़े और जनता के लिए यात्रा करना किफायती भी बना रहे. तो देखना यह है कि क्या फ्लेक्सी फेयर सिस्टम पूरी तरह से बंद होगा? या इस सिस्टम में आमूल बदलाव कर इसे जनता के लिए हितकारी बनाया जाएगा?
भारतीय रेल ने 9 सितंबर, 2016 को प्रीमियम रेलगाड़ियों के लिए फ्लेक्सी फेयर योजना पेश की थी. इनमें 44 राजधानी, 52 दुरंतो और 46 शताब्दी गाड़ियां शामिल थीं. इस स्कीम की वजह से यात्रियों को प्रीमियम ट्रेनों में टिकट के लिए बहुत ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं. इसे लेकर रेलवे ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को एक प्रस्ताव दिया है. अगर यह प्रस्ताव मंजूर हुआ तो प्रीमियम ट्रेनों के किराये में भी बहुत कमी आएगी.
क्या है फ्लेक्सी फेयर सिस्टम
शताब्दी, राजधानी, दुरंतो एक्सप्रेस जैसी करीब 100 ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम स्कीम लागू है. स्कीम में 10 फीसदी टिकट बुक होने के बाद उसी अनुपात में टिकट का किराया बढ़ता जाता है. फ्लेक्सी फेयर सिस्टम को पहले इसके तहत AC-III क्लास में 140% का टैरिफ कैप, जबकि एक्जीक्यूटिव समेत बाकी सभी क्लास के लिए टैरिफ कैप 150% तय किया गया था.
कैग ने की आलोचना
कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल (कैग) की एक रिपोर्ट में रेलवे के फ्लेक्सी फेयर की आलोचना थी. इसमें कहा गया है कि फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू होने से रेल यात्री हवाई सफर की तरफ मुड़ गए है, जो कि ट्रेन की तुलना में ज्यादा सुविधाजनक है, वहीं कुछ यात्री मेल और एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं.
फ्लेक्सी किराया योजना में हुए थे ये बदलाव
रेलवे द्वारा फ्लेक्सी किराया योजना में संशोधन का सबसे पहला लाभ मार्च, 2019 में प्रीमियम ट्रेनों में यात्रा करने वालों को मिला. रेलवे ने यात्रियों को राहत देते हुए सालभर में 50 प्रतिशत से कम बुकिंग वाली 15 प्रीमियम रेलगाड़ियों पर से फ्लेक्सी किराया योजना को समाप्त कर दिया. कम मांग वाले मौसम में, जब टिकट बुकिंग 50 से 75 प्रतिशत तक घट जाती है, ऐसी 32 गाड़ियों में भी फ्लेक्सी किराया योजना लागू नहीं होगी.
इन 32 ट्रेनों में फरवरी, मार्च और अगस्त में फ्लेक्सी किराया नहीं लगेगा. इसके अलावा रेलवे ने 101 ट्रेनों में फ्लेक्सी किराये की दर को आधार मूल्य के 1.5 गुना के बजाय 1.4 गुना कर दिया है. इस सिस्टम में इतने बदलाव करने पड़ रहे हैं कि इसे विफल ही माना जा सकता है. जाहिर है कि रेलवे को अपनी आय बढ़ाने के लिए दूसरे स्रोत तलाशने होंगे, बजाय प्रीमियम किराये के नाम पर लूट जैसी व्यवस्था करने के.