कोरोना महामारी के मद्देनज़र शीर्ष अदालत ने 5 लोगों के साथ मुहर्रम जुलूस निकालने की इजाजत अभी नहीं दी है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुहर्रम का जुलूस पूरे देश में निकाला जाता है, इसलिए सभी 28 राज्य सरकारों की मंजूरी या उनका पक्ष सुनना आवश्यक है. प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायाधीश एएस बोपन्ना और न्यायाधीश वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने याचिकाकर्ता को कहा कि वो अपनी याचिका में 28 राज्य की सरकारों को भी वादी बनाएं, जिसके बाद मामले की सुनवाई की जाएगी. 
इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने कोर्ट से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग भी की है. याचिकाकर्ता ने अदालत से कोरोना महामारी में सरकारी गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए मुहर्रम जुलूस में सिर्फ 5 लोगों को ही शामिल होने की अनुमति मांग थी. अदालत ने फिलहाल कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया. अब शीर्ष अदालत में अगली सुनवाई सोमवार को होगी.
दरअसल, इस्लामिक कैलेंडर का नया वर्ष यानी मुहर्रम का महीना 21 अगस्त से आरंभ हो गया है. मुहर्रम के शुरुआती दस दिनों में प्रयागराज सहित तमाम जगहों पर मजलिस, मातम, जुलूस और लंगर के माध्यम से कर्बला के वाकये को याद किया जाता है और कई किस्म के आयोजन किए जाते हैं. लोग काले कपडे पहन लेते हैं और महिलाएं हाथों की चूड़ियां तोड़ देती हैं. हालांकि इस दफा कोरोना की महामारी के कारण कहीं भी कोई सार्वजिनक आयोजन नहीं हो रहे हैं और लोग प्रतीकात्मक तरीके से ही त्यौहार की रस्में निभा रहे हैं.
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