क्या मई 2014 से पहले देश एक ब्लैकहोल था- सोनिया गाँधी

क्या मई 2014 से पहले देश एक ब्लैकहोल था- सोनिया गाँधी

कांग्रेस की पूर्व-अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक समारोह में शिरकत के दौरान लम्बे समय बाद अपने विचार मौजूदा राजनीती पर दिए है. सोनिया ने कहा कि पब्लिक स्पीकिंग मेरे लिए बहुत स्वाभिक नहीं है लिहाजा मैं पढ़ने में ज्यादा समय देती हूं. अब मैं एक सामान्य कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में हूं. सोनिया गांधी ने कहा कि वह देश से पूछना चाहती हैं कि क्या मई 2014 से पहले देश एक ब्लैकहोल था और सिर्फ इस तारीख के बाद ही देश ने सब कुछ किया है.क्या मई 2014 से पहले देश एक ब्लैकहोल था- सोनिया गाँधीसोनिया गांधी ने कहा कि सत्तारूढ़ सरकार की तरफ से उन्मादी बयान जानबूझ कर दिए जा रहे हैं और इसके गलत परिणाम हमारे सामने होंगे. मौजूदा समय में खुद के विषय में सोचने पर भी हमला किया जा रहा है. धार्मिक तनाव बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. दलितों और महिलाओं पर सुनियोजित हमला किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में उस भारत का क्या हुआ जो हम बनाना चाहते थे. हमें तेज चलने की जरूरत है लेकिन इतना तेज भी नहीं कि बड़ी जनसंख्या पीछे छूट जाए. सोनिया गांधी ने कहा कि नोटबंदी ने किस तरह अर्थव्यवस्था को पीछे ढ़केल दिया यह पूरा देश जानता है. वहीं किसानों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है.

सोनिया ने कहा कि हमें चीजों को उसी तरह देखने की जरूरत है जैसी वह वास्तविकता में हैं न कि उसे पैकेज करके. सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद अब उनके पास अधिक समय है. लिहाजा इस समय में वह राजीव गांधी से जुड़े पुराने दस्तावेजों को पढ़ने और परिवार की जिम्मेदारी निभाने में लगा रही है. राहुल की भी अपनी स्टाइल है. राहुल की कोशिश रही है कि कांग्रेस में नई जान फूंकने के कदम उठाए जाएं, हालांकि इस कोशिश में वरिष्ठ नेताओं को भूलने की नहीं बल्कि युवाओं को उनके साथ आगे लाने की है.

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