क्या आप जानना चाहते, इन चार जगहों पर ही क्यों आयोजित होते हैं कुंभ…

हिंदू शास्त्रों के मुताबिक़ जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से अनेक बहुत ही कीमती चीजें निकलीं थी और मंथन में से निकले अमृत कलश को लेने के लिए देवताओं और दानवों में होड़ सी मच गई, अमृत कलश की प्राप्ति के लिए दोनों के बीच 12 दिनों तक युद्ध हुआ.

आप सभी जानते ही हैं कि हिंदू धर्म में कुंभ स्नान की बहुत मान्यता है, और यह भी माना ही जाता है कि जो कुंभ का स्नान करता है उसके सभी पाप धुल जाते हैं. जी हाँ, आप सभी को बता दें कि साल 2019 का कुंभ मेला प्रयाग में 14 जनवरी यानि मकर संक्रांति से शुरू होने वाला है और ये 4 मार्च यानि महाशिवरात्री को समाप्त होगा. ऐसे में 12 साल में एक बार पड़ने वाले कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में किया जाता है.

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कहा जाता है उस युद्ध के दौरान अमृत की चार बूंदे पृथ्वी पर अलग-अलग जगहों पर गिरीं थीं और शास्त्रों के अनुसार, अमृत की पहली बूंद प्रयाग में गिरी, दूसरी बूंद हरिद्वार में गिरी, तीसरी बूंद उज्जैन में गिरी और चौथी अमृत की बूंद नासिक में जाकर गिरी. बस यही वजह है कि इन चार जगहों पर ही कुंभ का आयोजन किया जाता है. वहीं अगर बात करें शास्त्रों की तो उनके अनुसार 12 कुंभ होते हैं जिनमें से चार कुंभ पृथ्वी पर मानवों के लिए होते हैं और आठ कुंभ का आयोजन देवलोक में होता है जहाँ केवल देव शामिल होते हैं.

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