विज्ञानियों ने खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाले विभिन्न आकारों के ड्रॉपलेट्स के फैलाव को समझने के लिए एक नया ढांचा विकसित किया है। इससे कोविड-19 जैसी बीमारियों के प्रसार के तरीकों का प्रभावी तरीके से पता लगाने में मदद मिल सकती है। जर्नल ऑफ फिजिक्स फ्लूइड्स में प्रकाशित अध्ययन में गणितीय सूत्रों का उपयोग करके छोटे, मध्यम और बड़े आकार के ड्रॉपलेट्स की अधिकतम सीमा तय की गई। शोधकर्ताओं की टीम में शामिल ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने यह निष्कर्ष निकाला कि कोविड-19 जैसे रोगों के प्रसार को समझने के लिए यह काफी अहम हो सकता है।
अध्ययन के सह लेखक ब्रिटेन के हेरियट-वॉट विश्वविद्यालय के कैथल कमिंस ने कहा कि वह सांस लेने और छींकने व खांसने की प्रक्रियाओं का कोई गणितीय मॉडल विकसित करना चाहते थे, जिससे यह पता चल सके कि भौतिकी का इससे किस प्रकार का संबंध है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त प्रक्रियाओं के दौरान नाक से विभिन्न आकार के ड्रॉपलेट्स निकलते हैं, जो हवा के साथ आगे बढ़ते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह नवीन अध्ययन ड्रॉपलेट्स के फैलाव को समझने के लिए एक सामान्य रूपरेखा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इस मॉडल के सहारे यह पता लगाया जा सकता है कि ड्रॉपलेट्स की श्रृंखला कब छोटी होगी।
अध्ययन के सह-लेखक एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के फेलिसिटी मेहेंदले ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि छोटे ड्रॉपलेट्स और फैलाव के बीच एक रैखिक संबंध नहीं है। मध्यम आकार के ड्रॉपलेट्स की तुलना में छोटे और बड़े, दोनों की प्रकार के ड्रॉपलेट्स ज्यादा दूरी तक फैलते हैं। मेहेंदले ने कहा कि हम छोटे ड्रॉपलेट्स की अनदेखी नहीं कर सकते। उनका कहना है कि स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई) बड़े ड्रॉपलेट्स के लिए तो प्रभावी हैं, लेकिन छोटे ड्रॉपलेट्स के लिए कम प्रभावी हो सकते हैं।
विज्ञानियों ने बताया कि वह फिलहाल एरोसोल एक्सट्रैक्टर डिवाइस बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं ताकि चिकित्सा और दंत चिकित्सा में नियमित रूप से होने वाले एरोसोल उत्पादक प्रक्रियाओं के दौरान डॉक्टरों को सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने कहा कि अगर छोटे ड्रॉपलेट्स के पास ऐसी एक डिवाइस लगा दी जाए, जो उन्हें सोखने में सक्षम है तो इसे रोकने में मदद मिल सकती है।
कमिंस ने कहा कि कोविड-19 महामारी से बचाव में यह डिवाइस काफी महत्वपूर्ण साबित होगी। उन्होंने यह भी कहा कि बड़े ड्रॉपलेट्स को पीपीई, मास्क और फेस शील्ड के जरिये तो आसानी से पकड़कर खत्म किया जा सकता है, लेकिन छोटे ड्रॉपलेट्स कुछ प्रकार के पीपीई में प्रवेश करने में सक्षम होते हैं। ऐसे में नई डिवाइस कोविड-19 और भविष्य की महामारियों के खिलाफ हमारी वर्तमान रक्षा प्रणाली की कमजोरी को मजबूत करने में मददगार हो सकती है।
मेहेंदले के अनुसार, छोटे ड्रॉपलेट्स के व्यवहार की बेहतर समझ से एयरोसोल उत्पादित करने की प्रक्रियाओं के दौरान सुरक्षा दिशानिर्देशों को तय करना आसान होगा। इस तरह यह वर्तमान और भविष्य की महामारियों के साथ-साथ अन्य संक्रामक रोगों के पर रोक लगाने में भी मदद कर सकती है।