सुप्रीम कोर्ट में निर्भया के दोषी अक्षय कुमार की पुनर्विचार याचिका ठुकराए जाने के बाद अब दोषियों के डेथ वारंट पर पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 7 जनवरी रखी है। अदालत के इस फैसले से संकेत मिलता है कि कि निर्भया के दोषियों को इस साल फांसी होना मुश्किल है। अदालत ने डेथ वारंट पर सुनवाई टालते हुए कहा कि दया याचिका के लिए दोषियों को नोटिस दिया जाए। इसके खारिज होने के बाद ही डेथ वारंट जारी होगा।
अदालत का फैसला सुनते ही निर्भया की मां कोर्ट में ही रो पड़ीं। उन्हें उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर आज डेथ वारंट जारी हो जाएगा लेकिन ऐसा न हो सका, जिससे वह कुछ दुखी होकर रो पड़ीं।
जज ने कहा सरकारी वकील जानकारी दें कि सुप्रीम कोर्ट में डाली गई पुनर्विचार याचिका का क्या हुआ। तब सरकार वकील ने बताया कि पुनर्विचार याचिका खारिज हो गई है।
जज ने कहा मेरे ख्याल से डेथ वारंट जारी करना चाहिए, मेरे पास ये मामला एक साल से लंबित है।
दोषियों ने अब तक सारे कानूनी विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया है। मुकेश के पास कोई वकील नहीं हैं उसे वकील दिया जाए।
निर्भया के वकील ने कहा फांसी की तारीख में कोई दिक्कत नहीं है।
जज ने ये भी कहा कि हम प्रिंसिपल ऑफ नेचुरल जस्टिस का पालन करेंगे और दोषियों के वकील का इंतजार करेंगे। जज ने कहा कि हर दोषी को वकील मिलना चाहिए।
जज ने निर्भया के माता-पिता के वकील से पूछा कि क्या आप ये चाहते हैं कि हम अभी फांसी की तारीख तय कर दें?
दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि जेल मैनुअल का पालन होना चाहिए, कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए।
एपी सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के लिए हमें समय मिलना चाहिए।
एमिकस क्यूरे ने कहा है कि इस मामले को उचित समय के लिए स्थगित कर दें।
तिहाड़ के वकील ने जज से कहा आप फांसी पर फैसला दे सकते हैं।
सरकारी वकील ने कहा फांसी के लिए नियमों का पालन जरूरी।
इस फैसले के बाद निर्भया की मां ने कहा है कि वह बहुत खुश हैं। साथ ही उन्होंने मीडिया व देश का भी शुक्रिया अदा किया कि उनके इस सफर में सबने उनका साथ दिया। उन्होंने कहा कि इससे हम न्याय के एक कदम और पास आ गए हैं।
वहीं दोषी के वकील एपी सिंह ने फैसले पर कहा कि हमारे केस में हमने जो तथ्य रखे वो सभी नए हैं लेकिन अदालत ने इस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि कई बार जनभावना के आधार पर फैसला आता है वही निर्भया सामूहिक दुष्कर्म में हुआ।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले कोर्ट में जो सुनवाई हुई उसमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि दोषी किसी भी तरह की उदारता का हकदार नहीं है और भगवान भी ऐसे ‘दरिंदे’ को बना शर्मसार होगा। तुषार मेहता ने आगे कहा, कुछ अपराध ऐसे होते हैं, जिनमें ‘मानवता रोती’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है।
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत में कहा जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई पूरी कर चुकी है।