भारत में कोरोना के मामले एक लाख संक्रमण प्रति दिन के आंकड़े को छूने के करीब हैं। ऐसे में इस महामारी के प्रकोप से हर व्यक्ति चिंतित है। हालांकि कोरोना से घबराने की बजाय हमें सावधानी बरतने की जरूरत है। आंकड़ों पर गौर करें तो हम पाते हैं कि देश में रोजाना करीब 10 लाख टेस्ट हो रहे हैं। वहीं बहुत से देशों में यह संख्या भारत की आधी भी नहीं है।
हम पाते हैं कि देश में 100 लोगों का टेस्ट करने पर आठ लोगों में संक्रमण की पुष्टि होती है, जबकि 92 लोग इस महामारी से दूर होते हैं। कोरोना के कारण दुनिया में सर्वाधिक प्रभावित दस देशों में भारत भले ही दूसरे स्थान पर है। लेकिन टेस्ट को आधार मानकर हम गणना करें तो पाते हैं कि अमेरिका, रूस और स्पेन के बाद टॉप10 देशों में भारत ही सबसे बेहतर है।
अमेरिका, रूस और स्पेन का हाल : वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण के मामले 2.83 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुके हैं। करीब 9 करोड़ लोगों का अमेरिका में टेस्ट हुआ है, जिनमें से 66 लाख लोगों में कोविड-19 की पुष्टि हुई है। दुनिया में सर्वाधिक मामले भी यहीं पर सामने आए हैं। इससे पता लगता है कि टेस्ट बढ़ने से कोरोना संक्रमण के मामले ज्यादा सामने आते हैं। अमेरिका में 100 लोगों का टेस्ट करने पर सिर्फ 7 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो रही है। वहीं रूस में यह संख्या करीब 3 और स्पेन में 6 है।
तीसरे सबसे ज्यादा टेस्ट भारत में : वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए सर्वाधिक टेस्ट चीन ने किए हैं। यहां पर 16 करोड़ टेस्ट हुए हैं। इसके बाद अमेरिका का नंबर आता है। जहां पर करीब 9 करोड़ लोगों के टेस्ट हुए हैं। कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मामलों वाले दस देशों में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा टेस्ट भारत ने ही किए हैं। यहां करीब 5 करोड़ टेस्ट हुए हैं। इसके बाद रूस, ब्राजील और स्पेन का नंबर आता है। इससे साफ है कि जहां भी टेस्ट बढ़ते हैं, वहां पर कुछ अपवादों को छोड़कर पुष्ट मामलों की संख्या बढ़ जाती है।
इन राज्यों में देश से खराब स्थिति : भारत में टेस्ट के लिहाज से संक्रमण की दर 8.44 है। देश में सबसे खराब स्थिति महाराष्ट्र की है, जहां पुष्ट मामलों की दर 19.9 फीसद है। अकेले महाराष्ट्र के कारण ही देश में 9.90 लाख मामले सामने आ चुके हैं। वहीं इसके बाद चंडीगढ़ में यह दर 16 फीसद, आंध्र प्रदेश में 12.5 फीसद, कर्नाटक 12 फीसद और दिल्ली में 10.5 फीसद है। हालांकि देश के ज्यादातर राज्यों की दर राष्ट्रीय दर से कम है।
इसलिए सामने आ रहे मामले : गरीब और कम विकसित देशों में कोरोना के मामले कम सामने आ रहे हैं। आशंका जताई जा रही थी कि कोरोना संक्रमण के कारण यहां पर स्थिति बेहद विस्फोटक होगी। हालांकि विकसित देशों की अपेक्षा यहां पर न सिर्फ मामले कम हैं, बल्कि मौतों की संख्या भी ज्यादा नहीं है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि यह कम टेस्टिंग के कारण हो सकता है। कम टेस्ट होने के चलते बहुत कम मामलों की पुष्टि हो पाती है। भारत में लगातार बढ़ते मामलों का एक कारण बड़ी संख्या में टेस्टिंग भी है।