बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी या फिर बकरे की सामत वाली कहावतें अब बीते दिनों की बात है, क्योंकि पर्व और त्योहारों को कोरोना महामारी ने इस कदर अपनी बेड़ियों में जकड़कर रख दिया है कि महज औपचारिकाताओं को निभाकर ही दस्तूर रश्म अदायगी की जा रही है.
इस बार बकरीद पर भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब लोग बकरा मंडी जाने के बजाए बकरे की तस्वीर वाले केक को खरीदने के लिए बेकरी की दुकान में दिखाई पड़े.
आमतौर पर लोग जन्मदिन के मौके पर बर्थडे केक पर उनकी तस्वीर बनवाते हैं जिनका जन्मदिन रहता है या फिर उसकी तस्वीर होती है जो बर्थडे ब्वाय या गर्ल को लुभाता हो. लेकिन वाराणसी में लोग बर्थडे केक पर बकरे की तस्वीर पसंद कर रहे हैं या तो ऑर्डर देकर बनवा रहे हैं.
ये सब कुछ कोरोना संकट और लोगों की तंगहाली की वजह से हो रहा है. शहर के भैरवनाथ इलाके की एक बेकरी शॉप पर जुटे मुस्लिम समाज के युवकों में से एक मोहम्मद मुमताज अंसारी ने बताया कि कोरोना बीमारी से उबरने के लिए शासन-प्रशासन बहुत मेहनत कर रहा है, इसीलिए हम सभी ने भी सोचा है कि हम भी उनका साथ दें. यही वजह है कि बकरीद के पर्व पर हम बकरे की तस्वीर वाले केक को खरीदकर केक घर पर ही काटें.
उनका कहना है कि इसी तरीके को अपनाकर घर पर रहकर शांति और सादगी के साथ बकरीद का पर्व मनाया जा सकता है. उन्होंने आगे बताया कि कोरोना काल में बकरा खरीदना तो सपना हो गया है, इस वक्त खाना ही खा लिया जाए तो बहुत बड़ी बात है. इसीलिए परंपरा को निभाने के लिए केक खरीदकर काटा जाएगा.