शिवरात्रि पर भगवान शिव-पार्वती की शादी हुई थी इसलिए इस पर्व को भगवान की विवाह वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है. भगवान शिव से जुड़ी कई ऐसी बातें है जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे. इन कहानियों में कई रहस्य छिपे हुए हैं. आइए जानते हैं…
मां काली के चरणों के नीचे मुस्कुराते हुए शिव-
भगवान शिव महादेव, मां काली के चरणों के नीचे भी मुस्कुराते हैं. भगवान शिव क्रोध और उग्रता के प्रतीक हैं फिर भी वह सबसे उदार रूप में है. ऐसा क्यों? आइए बताते हैं इसके पीछे की वजह.
एक बार काली मां बहुत ज्यादा क्रुद्ध अवस्था में थीं. कोई भी देव, राक्षस और मानव उन्हें रोकने में समर्थ नहीं था. तब सभी ने मां काली को रोकने के लिए सामूहिक रूप से भगवान शिव का स्मरण किया. महाशक्ति जहां-जहां कदम रखतीं, वहां विनाश होना निश्चित था.
भगवान शिव ने भी यह अनुभव किया कि वह महाशक्ति को रोकने में समर्थ नहीं हैं. तब भगवान शिव ने भावनात्मक रास्ता चुना और उन्हें रोकने पहुंचे. भोलेनाथ मां काली के रास्ते में लेट गए. जब मां काली वहां पहुंची तो उऩ्होंने ध्यान नहीं दिया कि भगवान शिव वहां लेटे हुए हैं और उन्होंने शिव की छाती पर पैर रख दिया.
अभी तक महाशक्ति ने जहां-जहां कदम रखा था, वहां सब कुछ खत्म हो चुका था. लेकिन यहां अपवाद हुआ. मां काली ने जैसे ही देखा कि भगवान शिव की छाती पर उनका पैर है, उनका गुस्सा शांत हो गया और वह पश्चाताप करने लगी.
इस एक कहानी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं. यह मायने नहीं रखता है कि हमारे पास कितने संसाधन हैं और हम कितने शक्तिशाली हैं, कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हमें सोच समझकर परिस्थितियों को संभालना पड़ता है. हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है, अगर सूझबूझ से फैसला लिया जाए.
मां पार्वती की ली थी परीक्षा-
हममें से कुछ लोग ही जानते हैं कि भगवान शिव ने मां पार्वती की परीक्षा ली थी. पार्वती मां से विवाह करने से पहले भगवान शिव ने उनकी परीक्षा लेने की सोची. भोले ने ब्राह्मण का रूप धारण किया और पार्वती के पास पहुंचे. उन्होंने पार्वती मां से पूछा कि वह भगवान शिव जैसे भिखारी से विवाह क्यों करना चाहती हैं जिसके पास कुछ नहीं है. यह सुनकर पार्वती मां क्रोधित हो गईं. उन्होंने कहा कि वह शिव के सिवा किसी और से विवाह नहीं करेंगी. उनके इस उत्तर से भगवान शिव प्रसन्न हो गए. वह अपने असली रूप में सामने आ गए और पार्वती से विवाह करने को राजी हुए.
इसलिए पूरे शरीर पर भस्म लगाते हैं शिव-
भगवान शिव पूरे शरीर पर भस्म लगाए रहते हैं. शिवभक्त माथे पर भस्म का तिलक लगाते हैं. शिव पुराण में इस संबंध में एक बहुत ही दिलचस्प कहानी मिलती है. एक संत था जो खूब तपस्या करके शक्तिशाली हो चुका था. वह केवल फल और हरी पत्तियां खाते थे इसलिए उनका नाम प्रनद पड़ गया था.
अपनी तपस्या के जरिए उस साधु ने जंगल के सभी जीव-जंतुओं पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था. एक बार अपनी कुटिया की मरम्मत के लिए लकड़ी काट रहे थे, तभी उनकी अंगुली कट गई. साधु ने देखा कि अंगुली से खून बहने के बजाए पौधे का रस निकल रहा है.
साधु को लगा कि वह इतना ज्यादा पवित्र हो चुका है कि उसके शरीर में खून नहीं बल्कि पौधों का रस भर चुका है. उसे उस बात की बहुत ज्यादा खुशी हुई और वह घमंड से भर गया. अब साधु ने खुद को दुनिया का सबसे पवित्र शख्स मानने लगा. भगवान शिव ने जब यह देखा तो उन्होंने एक बूढ़े का रूप धारण किया और वहां पहुंचे. बूढ़े व्यक्ति के भेष में छिपे भगवान शिव ने साधु से पूछा कि वह इतना खुश क्यों है? साधु ने वजह बता दी. सब बात जानकर उससे पूछा कि ये पौधों और फलों का रस ही तो है लेकिन जब पेड़-पौधे जल जाते हैं तो वह भी राख बन जाते हैं. अंत में केवल राख ही शेष रह जाती है.
बूढ़े व्यक्ति का रूप धारण करे शिव ने तुरंत अपनी अंगुली काटकर दिखाई और उससे राख निकली. साधु को एहसास हो गया कि उनके सामने स्वयं भगवान खड़े हैं. साधु ने अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगी. ऐसा कहा जाता है कि तब से ही भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म लगाने लगे ताकि उनके भक्त इस बात को हमेशा याद रहें. शारीरिक सौंदर्य का अहंकार ना करें बल्कि अंतिम सत्य को याद रखें.
भगवान शिव ने दिया था सुदर्शन चक्र- भगवान विष्णु के हाथों में हमेशा सुदर्शन चक्र सुशोभित रहता है. यह सुदर्शन चक्र भगवान शिव ने ही भगवान विष्णु को दिया था. एक बार भगवान विष्णु शिव की आराधना कर रहे थे. विष्णु देवता ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हजारों कमल बिछा रखे थे. भगवान शिव यह देखना चाहते थे कि भगवान विष्णु की भक्ति में कितनी तत्परता है. इसलिए उन्होंने एक कमल उठा लिया. भगवान विष्णु सहस्त्रनाम लेते हुए शिवलिंग पर हर बार कमल का फूल चढ़ा रहे थे. जब विष्णु 1000वां नाम ले रहे थे तो उन्होंने पाया कि शिवलिंग पर अर्पित करने के लिए कोई भी फूल शेष नहीं रह गया है. तब भगवान विष्णु ने अपनी आंख निकालकर शिव को अर्पित कर दी. भगवान विष्णु को कमलनयन कहा गया है इसलिए कमल के फूल के बजाए उन्होंने अपना नेत्र अर्पित कर दिया. अटूट भक्ति देखकर भगवान शिव ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र भेंट किया.
भगवान शिव के भक्तों के लिए अमरनाथ गुफा बहुत महत्वपूर्ण है. जब मां पार्वती ने भगवान शिव से अमरता का रहस्य बताने के लिए कहा, तो वह गुफा की ओर निकल गए. गुफा जाने के रास्ते में उन्होंने कई कार्य किए. इसीलिए गुफा जाने का पूरा रास्ता चमत्कारिक माना जाता है. अमरकथा के रहस्य बताने के क्रम में भगवान ने अपने पुत्र, वाहन आदि को निर्जन स्थानों पर छोड़ दिया. ये सभी स्थल तीर्थस्थल बन गए. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव गुफा तक पहलगाम से होते हुए पहुंचे थे.