कोई नहीं है दावेदार ,बैंकों में लावारिस पड़े हैं 14,578 करोड़ रुपये

बैंकों में लावारिस जमा धन 2018 में 26.8 फीसद की वृद्धि के साथ 14,578 करोड़ रुपये हो गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि 2017 में लावारिस जमा धन 8,928 करोड़ रुपये से बढ़कर 11,494 करोड़ रुपये हो गया। सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में 2018 के आखिर में 2,156.33 करोड़ रुपये लावारिस धन जमा था।

इंश्योरेंस सेक्टर की बात करते हुए मंत्री ने कहा कि लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर ने 16,887.66 करोड़ रुपये के लावारिस अमाउंट के बारे में बताया, जबकि सितंबर 2018 के आखिर में नॉन-लाइफ इंश्योरेंस का लावारिस अमाउंट 989.62 करोड़ रुपये था।

उन्होंने कहा कि जहां तक ​​बैंकों में लावारिस जमा धन की बात है तो बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 में संशोधन के बाद और रेगुलेशन में सेक्शन 26 ए को जोड़ने के लिए आरबीआई ने डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) स्कीम 2014 को बनाया है। स्कीम की बात की जाए तो बैंक उन सभी अकाउंट में संचयी बैलेंस की गणना करते हैं जो 10 साल या उससे अधिक समय के लिए उपयोग में नहीं होते हैं (या 10 साल या उससे अधिक समय के लिए लावारिस बचा हुआ पैसा) ब्याज सहित लेकर उस पैसे को DEAF में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

ऐसी स्थिति में जिस ग्राहक का पैसा DEAF में ट्रांसफर कर दिया गया है अगर वह ग्राहक पैसा मांगता है तो बैंकों को ग्राहक को उसके पैसे को ब्याज समेत वापस देने के लिए डीएएएफ से धन वापसी के लिए दावा करने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि DEAF का उपयोग डिपॉजिटर के हितों और ऐसे अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से बताए जा सकते हैं।

इंश्योरेंस कंपनियों में लावारिस अमाउंट के बारे में कहा कि 10 से अधिक सालों से लावारिस अमाउंट रखने वाली कंपनियों को हर साल 1 मार्च को या उससे पहले वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष (SCWF) में उस पैसे को ट्रांसफर करने की जरूरत है। SCWF का उपयोग वरिष्ठ नागरिकों के हितों को बढ़ावा देने वाली स्कीम के लिए किया जाता है। ऐसी स्थिति में अगर कोई दावा किया जाता है तो बीमा कंपनियों को इस प्रक्रिया के अनुसार पॉलिसीधारकों या लाभार्थियों को उस अमाउंट को ब्याज समेत वापिस देने के लिए उस फंड में दावा करने की जरूरत होती है।

एक अन्य सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि पब्लिक सेक्टर के बैंकों में धोखाधड़ी की घटनाओं की संख्या 2018-19 में घटकर 739 रह गई हैं जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह संख्या 1,545 थी। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वित्त वर्षों के दौरान नॉन पर्फोर्मिंग एसेट (NPA) अकाउंट से पब्लिक सेक्टर के बैंकों की तरफ से 2,06,586 करोड़ रुपये की कुल रिकवर की गई है। एक अन्य प्रश्न के जवाब में मंत्री ने कहा कि पिछले 2 वित्त वर्षों में देश के कई हिस्सों से ATM से कैश निकालने की 11,816 घटनाएं हुईं।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com