केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने दक्षिणी राज्य के प्रत्येक मंदिर में गोशाला, सनातन धर्म सिखाने और पढ़ाने के लिए पाठशालाएं और अस्पताल स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
उन्होंने सुझाव दिया कि देवस्थानम बोर्ड इस कार्य को लागू कर सकता है। अर्लेकर ने शनिवार शाम यहां तालिपरंबा के श्री राजराजेश्वरा मंदिर में भगवान शिव की एक कांस्य प्रतिमा का अनावरण करने के बाद कहा कि सभी मंदिरों में चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
राज्यपाल का सुझाव
उन्होंने कहा, “हमारे सभी मंदिरों में एक ‘गोशाला’ होनी चाहिए, जहां सभी सड़क पर घूमने वाले मवेशियों को लाया जाए। यह हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। ‘गोशाला’ के लिए दान देने के लिए कई लोग तैयार होंगे।”
उन्होंने कहा, “हमें एक शैक्षणिक संस्थान भी स्थापित करना होगा। यह अनिवार्य है। अन्यथा, हमारे सनातन धर्म की शिक्षाएं और उपदेश अगली पीढ़ी को कौन देगा?”
राज्यपाल ने कहा कि ‘मानव सेवा’ ही ‘माधव सेवा’ है। इसलिए, हमें अस्पताल की सुविधा भी प्रदान करनी चाहिए। मरीज की सेवा अनिवार्य है। ये तीनों चीजें देवस्थानम बोर्ड द्वारा स्थापित की जा सकती हैं।
राज्यपाल ने क्या मांग की?
अर्लेकर ने कहा कि लोग जब हम उनसे मांगते हैं तो किसी भी चीज के लिए दान देने के लिए तैयार होते हैं। हमें उनके पास जाना होगा। यही आज की आवश्यकता है। जो भी भगवान और मंदिर के चरणों में आता है, उसे फिर से जनता, समाज और लोगों को दिया जाना चाहिए। उन्हें यह सुविधा एक ‘गोशाला’, एक शैक्षणिक संस्थान और अस्पताल या चिकित्सा सुविधा के रूप में दी जानी चाहिए। ये सभी चीजें हमें करनी हैं।