नई दिल्ली: टीकाकरण नीति को लेकर लगातार विपक्ष से और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सवाल खड़े किये जा रहे हैं। अब ऐसे में इन सभी सवालों से परेशान होकर केंद्र सरकार ने इसका बचाव किया है। जी दरअसल हाल ही में केंद्र सरकार ने टीकाकरण में असमानताओं की खबरों को बेबुनियाद बताया है। केवल यही नहीं बल्कि केंद्र ने अपनी उदार टीकाकरण नीति के तहत टीके के निजी और सरकारी क्षेत्र में वितरण को भी सही ठहराया है और कहा है कि एक मई से लागू हुई वैक्सीन पॉलिसी राज्य सरकारों की ओर से चलाए जा रहे टीकाकरण केंद्रों पर बोझ को कम करती है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने ट्वीट किया है।
इस ट्वीट में उन्होंने टीकों के बंटवारे में असमानता की खबरों निराधार बताया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है, ”मई माह में निजी अस्पतालों को टीके की 1।2 करोड़ खुराकें पारदर्शी तरीके से दी गईं। इससे दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की क्षमता बढ़ाने में मदद हुई।” इसी के साथ उन्होंने सरकार का एक बयान भी जारी किया। आप सभी को बता दें कि केंद्र सरकार ने टीकाकरण नीति के तहत निजी क्षेत्र के लिए 25 प्रतिशत टीकों के वितरण को अलग कर दिया है।
आप देख सकते हैं इस बयान के मुताबिक, ‘निजी क्षेत्रों के लिए 25% टीके अलग करने से लोगों तक वैक्सीन की बेहतर पहुंच होती है और सरकारी टीकाकरण केंद्रों पर परिचालन का बोझ भी घटता है। यह योजना उन लोगों के लिए है जो टीके की कीमत चुका सकते हैं और जो निजी अस्पताल जाकर टीका लगवाना पसंद करते हैं।’
आपको हम यह भी जानकारी दे दें कि 1 मई से केंद्र सरकार ने देश में 18 से 44 साल के आयुवर्ग के लोगों को भी टीकाकरण की मंजूरी दे दी थी। लेकिन कई राज्यों ने वैक्सीन की किल्लत का दावा करते हुए इस आयुवर्ग के लिए खोले टीकाकरण केंद्रों को बंद कर दिया। इन सभी के बीच यह भी कहा जा रहा है कि निजी क्षेत्र के लिए आवंटित टीके कुछ बड़े अस्पताल ही खरीद पा रहे हैं। हालांकि, सरकार का कहना है कि छोटे शहरों के अस्पताल भी कोवैक्सीन और कोविशील्ड खरीद रहे हैं।