सिवान के भगवानपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की विज्ञानी डॉ. अनुराधा कई महिलाओं की जिंदगी संवारने का काम कर रही हैं। उन्होंने जिले की हजारों महिलाओं को अचार मुरब्बा कटहल के चिप्स मशरूम उत्पादन और मोमबत्ती निर्माण आदि का प्रशिक्षण दिया है। डॉ. अनुराधा का मानना है कि समाज इसी तरह सशक्त होगा।
कृषि विज्ञानी का किसानों को खेती के आधुनिक तौर तरीकों से अवगत कराना तथा उन्नत बीज के प्रयोग के लिए प्रेरित करना मूल कर्तव्य है।
अगर कोई कृषि विज्ञानी ऐसा करता है, तो इसके फलस्वरूप समाज की आर्थिक स्थिति में तो सुधार होता ही है। इसके साथ ही स्वयं भी सम्मान के पात्र बनते हैं। कृषि विज्ञानी चाहें तो बड़ी आबादी को स्वावलंबी बनाने के प्रयास कर सकते हैं।
एक हजार महिलाओं की जिंदगी कैसे संवरी?
सिवान के भगवानपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की विज्ञानी डॉ. अनुराधा ऐसी ही हैं। इन्होंने स्वयं को लक्ष्य दिया, तो जिले की एक या दो नहीं लगभग एक हजार महिलाओं की जिंदगी संवर गई। लगभग चार हजार प्रशिक्षित महिलाएं स्वावलंबन की कतार में हैं।
इन्होंने महिलाओं को अचार, मुरब्बा, कटहल के चिप्स, मशरूम उत्पादन, मोमबत्ती निर्माण, हर्बल गुलाल, बांधनी विधि से कपड़ा की रंगाई, मधुबनी पेंटिंग, सिलाई-कटाई, सब्जी की नर्सरी, मुर्गी पालन, पोषण वाटिका, गुलदस्ता, खिलौना बनाने का प्रशिक्षण दिया।
मोटे अनाज का लड्डू, नमकीन, हलवा तथा पकवान बनाने का भी प्रशिक्षण महिलाओं को दिया। लगभग एक हजार महिलाएं प्रशिक्षित होकर स्वरोजगार कर रही हैं और परिवार के कमाऊ सदस्य का सम्मान पा रही हैं।
इनमें बिलासपुर की सविता देवी व मालती देवी मुर्गी पालन, रामपुर कोठी की प्रियंका कुमारी अचार निर्माण, गोरेयाकोठी के विशुनपुरा की लालसा देवी मशरूम उत्पादन, अचार व जैम जेली निर्माण, गुठनी के मैरिटार की चिंता देवी मोटा अनाज के लड्डू, बसंतपुर की निक्की कुमारी मधुबनी पेंटिंग के माध्यम से कमाई कर रही हैं।
डॉ. अनुराधा का स्पष्ट मानना है कि समाज तभी सशक्त होगा, जब आधी आबादी सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक रूप से सबल होंगी।
इतने मिले पुरस्कार
डॉक्टर अनुराधा मूलतः नालंदा जिले के हिलसा की निवासी हैं। इनके पिता शालीग्राम सिंह पेशे से किसान थे। बड़े भाई रामप्रवेश सिंह आयकर विभाग में काम करते थे, लेकिन कोरोना काल में 2021 उनका साथ छूट गया।
कृषि विश्वविद्यालय से सर्वोत्तम कृषि विज्ञान केंद्र के खिताब के साथ इनके नेतृत्व में जिला कृषि विज्ञान केंद्र तीन बार प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर चुका है। 2020 में श्रेष्ठ कृषि वैज्ञानिक का पुरस्कार कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर में मिला।
2022 में कर्नाटक में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नारी शक्ति पुरस्कार, लखनऊ में 2022 में ही युवा वैज्ञानिक, साइंटिस्ट आफ द ईयर का पुरस्कार प्राप्त हुआ।
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