उन्नाव के कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा होने और देवर मनोज सेंगर की मौत के बाद अब जिला पंचायत का कामकाज संभालने में संगीता सेंगर की मुश्किलें बढ़ेंगी। अगले वर्ष 2020 के अक्तूबर महीने में जिला पंचायत के चुनाव संभावित हैं। पिछले चुनाव में पति और देवर ने जिला पंचायत चुनाव का पूरा प्रबंधन संभाला था।
हालांकि परिजनों व समर्थकों का कहना है कि जिला पंचायत चुनाव हो या कोई अन्य चुनाव कोई मुश्किल नहीं होगी। जिले की जनता काम और सच्चाई से बखूबी वाकिफ है। परिजनों ने कहा कि कुलदीप सेंगर चुनावों में खड़े जरूर हुए लेकिन चुनाव क्षेत्र की जनता ने खुद लड़ा। इसी का नतीजा रहा कि उन्हे हर बार जीत मिली। समर्थकों का मानना है कि चुनाव कोई भी हो सेंगर के परिवार या परिचित के लिए जनता खुद भी भारी जनसमर्थन जुटाएगी।
पिछले चुनाव में कुल 53 जिला पंचायत सदस्यों ने मतदान किया था। कांटे के मुकाबले में निर्दलीय प्रत्याशी संगीता सेंगर और सपा प्रत्याशी ज्योति रावत के बीच मुख्य मुकाबला हुआ था। संगीता सेंगर के पक्ष में 27 मत पड़े लेकिन मतों की गिनती के दौरान एक मतपत्र में बिंदी लगी पाए जाने पर उसे अवैध घोषित कर दिया गया था। दोनों मुख्य प्रत्याशियों को बराबर 26-26 वोट मिले।
इसपर प्रशासन ने लॉटरी सिस्टम का सहारा लिया। एक प्लास्टिक के डिब्बे में ज्योति रावत व संगीता सेंगर के नाम की पर्ची डाली गई थी। तत्कालीन डीएम सौम्या अग्रवाल ने पर्ची निकाली। इस पर्ची में ज्योति रावत के नाम लिखा था।
डिब्बे में संगीता सेंगर के नाम की पर्ची पड़ी रह गई। नियमों के अनुसार उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया। डीएम ने बताया था कि इस चुनाव में नियम यह होता है कि जिसके नाम की पर्ची डिब्बे में रहती है वही विजेता होता है।