किसान आंदोलन : दिल्ली से अंबाला राष्ट्रीय राजमार्ग 18 दिन बाद खोला

दिल्ली कूच को लेकर तीन मार्च के लिए दी गई कॉल पर भी प्रशासन के साथ-साथ हर किसी की निगाहें टिकी हैं। किसानों ने ट्यूकर बॉर्डर पर एकत्रित करने का प्रयास शुरू कर दिया है। किसानों को अगर शंभू बॉर्डर से आगे नहीं जाने दिया गया तो वह ट्यूकर बॉर्डर से भी आगे बढ़ेंगे।

दिल्ली से अंबाला की ओर जाने वाले नेशनल हाईवे-44 पर 18 दिन बाद आखिरकार वाहन चालकों को बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को प्रशासन द्वारा किसान आंदोलन के चलते की गई किलेबंदी यहां से एक तरफ से हटा ली गई, जिससे वन-वे ट्रैफिक शुरू हो गया। हालांकि अंबाला से दिल्ली की ओर जाने वाले हाईवे पर प्रशासन की किलेबंदी फिलहाल जारी है।

फिलहाल किसानों द्वारा दिल्ली कूच को लेकर तीन मार्च के लिए दी गई कॉल पर भी प्रशासन के साथ-साथ हर किसी की निगाहें टिकी हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इसके बाद ही प्रशासन अंबाला से दिल्ली की ओर हाईवे पर की गई किलेबंदी हटाने पर विचार करेगा। दिल्ली से अंबाला की ओर जाने वाले हाईवे पर हालांकि प्रशासन ने दो दिन पहले ही एक लेन खोल दी थी जबकि इससे पहले लिंक रोड से बैरिकेडिंग हटाई गई थी।

दिल्ली-पानीपत से अंबाला-अमृतसर-चडीगढ़ की ओर जाने वाले वाहन अब हाईवे से सीधे शाहाबाद में मारकंडा नदी के साइड से उतर कर सफर तय कर रहे हैं। यहां से अंबाला जाने वाले वाहनों को सीधा जाने दिया जा रहा है, जबकि अमृतसर-चडीगढ़ साइड जाने वाले वाहनों को अभी साहा रोड से पंचकूला की ओर भेजा जा रहा है। अमृतसर-चडीगढ़ से दिल्ली जाने वाले अभी वाया पंचकूला-साहा होते हुए अनेकों वाहन विपरीत दिशा में नेशनल हाईवे पर चढ़ रहे हैं, जबकि कुछ वाहन दोसड़का-बराड़ा और कुछ वाहन गांव रामनगर से मारकंडा नदी से निकलकर शाहाबाद के बाद नेशनल हाईवे पर चढ़ रहे हैं।

अंबाला-दिल्ली हाईवे पर भी हटाई लाइटें व कैमरे

अंबाला से दिल्ली की ओर नेशनल हाईवे पर की गई बैरिकेड के साथ पेड़ों पर बिजली निगम द्वारा लगवाई गई लाइटें हटा ली गईं तो वहीं सीसीटीवी कैमरे भी उतार लिए गए। अब हाईवे पर यहां कंकरीट दीवार से बैरिकेडिंग जारी है तो वहीं सुरक्षा बलों के जवान भी तैनात हैं। हालांकि यहां से कीलों की चादर तीन दिन पहले ही हटा दी गई थी।

शंभू बार्डर की तरह ट्यूकर पर जुटने की तैयारी में किसान

दिल्ली कूच के लिए भाकियू शादीपुर ने शंभू बॉर्डर की तरह किसानों को ट्यूकर बॉर्डर पर एकत्रित करने का प्रयास शुरू कर दिया है। इसके लिए भाकियू शादीपुर की अलग-अलग कमेटी विभिन्न किसान जत्थेबंदियों के साथ किसानों से संपर्क कर उन्हें बॉर्डर पर जुटने का आह्वान रही हैं। वहीं भाकियू शादीपुर ने दावा किया कि अगर शंभू बॉर्डर से आगे नहीं जाने दिया गया तो वे ट्यूकर बॉर्डर से भी आगे बढ़ेंगे। भाकियू शादीपुर ने शंभू बॉर्डर पर यह बात रखने का दावा भी किया है।

भाकियू शादीपुर के प्रधान बूटा सिंह ने सभी किसान जत्थेबंदियों को एकजुट होकर ट्यूकर बॉर्डर पर एकत्रित होने का आह्वान किया है। वे दिल्ली पहुंचकर लोकतांत्रिक तरीके से सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखना चाहते हैं, मगर हरियाणा सरकार उनको रोक रही है। उनकी सभी मांगें जायज है। अगर शंभू बॉर्डर से उनको आगे नहीं बढ़ने दिया गया तो वे ट्यूकर बॉर्डर का इस्तेमाल करेंगे।

उन्होंने बताया कि इसके लिए शंभू बॉर्डर पर मौजूद किसान नेताओं और किसानों से संपर्क किया गया है। हालांकि इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अगर इस निर्णय हुआ तो वह बॉर्डर क्रॉस करने के लिए तैयार है। मौका दिया गया तो उनकी जत्थेबंदी आगे रहकर बॉर्डर पहले क्रॉस करेगी। इसके अलावा कोई अन्य फैसला या कॉल उनको मिली तो उसमें भी सहयोग किया जाएगा। फिलहाल शंभू बॉर्डर से कोई कॉल नहीं आई है। वे उनके इंतजार में बैठे हैं और कॉल आते ही उसे लागू किया जाएगा।

उधर, किसानों को रोकने के लिए ट्यूकर बॉर्डर पर 12 लेयर की सुरक्षा बनाई गई है। बॉर्डर पर पुलिस के साथ अर्द्ध सैनिक बल के जवान मुस्तैद है। इसके बॉर्डर के अलावा अधोया और कुम्हार माजरा बॉर्डर को भी सील किया गया है। तीनों जगह पर प्रशासन यहां कोई भी ढील बरतने को तैयार नहीं होगा। पिछले 20 दिनों से पुलिस और अर्द्ध सैनिक बल के जवान पूरे बंदोबस्त के साथ मोर्चा संभाले हुए हैं।

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