वहीं, कर्नाटक के बंगलूरू और मैसूर में करीब 10 हजार जवानों को तैनात किया गया है। तमिलनाडु में भी सुरक्षा की व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है।
आपको बता दें कि कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने साल 2007 के फरवरी महीने में कावेरी ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी थी। कर्नाटक चाहता है कि तमिलनाडु के लिए नदी के जल का आवंटन कम किया जाए तो वहीं तमिलनाडु भी कर्नाटक के लिए ऐसा ही चाहता है। ट्रिब्यूनल ने विवाद का निपटारा करते हुए नदी के जल का आवंटन किया था। उनके अनुसार तमिलनाडु को 192 फीट टीएमसी पानी, कर्नाटक को 270 टीएमसी फीट पानी, केरल को 30 टीएमसी और पुडुचेरी को टीएमसी फीट पानी आवंटित किया जाए।
सभी राज्यों का कहना है कि उन्हें उनकी जरूरत के अनुसार कम पानी मिलता है। अंतिम सुनवाई में कर्नाटक ने कहा था कि 1894 और 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी के साथ जल समझौता किया गया था। 1956 में बने नए राज्य की स्थापना के बाद इस करार के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। कर्नाटक के मुताबिक तमिलनाडु को सिर्फ 132 फीट टीएमसी पानी आवंटित किया जाना चाहिए। कर्नाटक की इस दलील पर तमिलनाडु को एतराज है और दोनों राज्यों के बीच ठनी हुई है।
तमिलनाडु का कहना है कि हमें हर बार पानी के दावे के लिए कोर्ट से गुहार लगानी पड़ी है। उनका कहना है कि कर्नाटक को 55 टीएमसी फीट पानी आवंटित किया जाना चाहिए।
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