शरद पूर्णिमा के बाद से कार्तिक का महीना लग जाता है। इस बार 1 नवंबर यानी आज से कार्तिक का महीना लग रहा है। इस महीने में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं, इसलिए इस माह में सुबह सवेरे स्नान करने बहुत फल मिलता है। कार्तिक महीने में तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। इस पूरे महीने में माता तुलसी के सामने दीपक जलाया जाता है।

कार्तिक मास में जल में निवास करते हैं श्री हरि, सूर्योदय से पहले स्नान से मिलता है पुण्य
यह कहा जाता है कि माता तुलसी की पूजा करने से बहुत फल मिलता है। चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान करना जरूरी होता है। इस महीने में तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। कहते हैं कि तुलसी विवाह करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। तुलसी विवाह से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन तुलसी के पौधे का गमला सजाकर उसके चारों ओर ईख का मण्डप बनाकर उसके ऊपर ओढ़नी या सुहाग प्रतीक चुनरी ओढ़ाते हैं। तुलसी पूजन से पहले तुलसी पूजा के नियमों को भी जान लेना चाहिए।
इस बात का ध्यान रखें कि तुलसी पत्र को बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए।
कभी भी शाम को तुलसी के पत्तों को शाम के समय तोड़ना नहीं चाहिए। पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी, रविवार व संक्रान्ति के दिन दोपहर दोनों संध्या कालों के बीच में तथा रात्रि में तुलसी नहीं तोड़ना चाहिए।
किसी के जन्म के समय और मुत्यु के समय घर में सूतक लग जाते हैं, ऐसे में तुलसी को नहीं ग्रहण करें। क्योंकि तुलसी श्री हरि के स्वरूप वाली ही हैं। तुलसी को दांतों से चबाकर नहीं खाना चाहिए।
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