धोखेबाज चीन की आर्थिक कमर तोडऩे में कानपुर अहम भूमिका निभा सकता है। प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कानपुर में हर साल चीन से सीधे आयात या दिल्ली मुंबई के जरिए आठ हजार करोड़ रुपये यानी 80 अरब से अधिक का चीनी सामान आता है। नई परिस्थितियों में अब कारोबारी और उद्यमी दोनों ही चीन का माल नहीं चाहते। उनका कहना है कि अगर सरकार रियायत दे और जनता सहयोग करे तो बहुत सा सामान कानपुर में ही बनाया जा सकता है। यह सामान चीन से कुछ महंगे हो सकते हैं, जिन्हें खरीदने में जनता को भी सहयोग देना पड़ेगा।
कानपुर के बाजार पर नजर डालें तो यहां चमड़ा उद्योग, होजरी, वस्त्र उद्योग, रेडीमेड गारमेंट से लेकर इलेक्ट्रिक, इलेक्ट्रानिक बाजार तक हर जगह चीन की छाप नजर आती है। बहुत सी सामग्री ऐसी है, जिसका कच्चा माल चीन से मंगाया जाता है और उसकी भारत में पैकिंग कर बेचा जाता है। सबसे बड़े उद्योग चमड़ा उद्योग और वस्त्र उद्योग को केमिकल से लेकर जिप तक चीन की इस्तेमाल करनी पड़ रही है। क्योंकि इनकी फिनिशिंग व कीमत भारतीय उत्पादों व अन्य देशों से आयात होने वाले उत्पादों से कम होती है। इसी तरह दवा बाजार में सर्जिकल उपकरण ज्यादातर चाइनीज हैं।
चमड़ा उद्योग 600 करोड़ का करता है निर्यात
कानपुर का चर्म उद्योग करीब पांच सौ करोड़ रुपये का केमिकल और 200 करोड़ रुपये का लाइनिंग, लेदर, आर्टिफिशयल लेदर व फिङ्क्षटग्स आदि का आयात करता है। लेकिन करीब छह सौ करोड़ रुपये का प्रतिवर्ष निर्यात भी चीन को किया जाता है।
चीन से आयात होने वाली वस्तुएं
प्लास्टिक, पैकेजिंग, शू मेकिंग, एडहेसिव टेप, एंब्राइडरी की मशीनें, डाई, केमिकल, मोबाइल समेत इलेक्ट्रानिक उपकरण, गैजेट्स, सर्जिकल उपकरण, होजरी का कच्चा माल, खिलौने, इलेक्ट्रिक आइटम, जेम्स एंड ज्वैलरी, फर्नीचर, फर्निंशिंग फैब्रिक, सौंदर्य प्रसाधन, हार्डवेयर, फुटवियर, किचन आइटम, बैग, गिफ्ट आइटम, चश्मे, ग्लास, आटो पाट्र्स आदि।
कानपुर में चीन से प्रमुख आयात ( प्रतिवर्ष करोड़ रुपये में)
1200 : टेनरी, फार्मा, प्लास्टिक प्रोसेसिंग व अन्य उत्पादों के केमिकल
2500 : मशीनरी उपकरण
1400 : इलेक्ट्रॉनिक औद्योगिक उपकरण व मोबाइल, लैपटॉप आदि
300 : टेक्सटाइल्स एवं गारमेंट्स
200 : शू मेकिंग के लाइनिंग, लेदर, फिटिंग्स आदि।
1200 : सौंदर्य प्रसाधन
500 : खिलौने व मूर्तियां आदि।
300 : फर्नीचर व फर्नीशिंग
24 : चिकित्सा उपकरण व दवाएं आदि।
7624 : कुल अनुमानित आयात
(इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व बाजार के सूत्रों पर आधारित अनुमान)
इनकी भी सुनिए
- बीपी मशीन, शुगर मशीन के अलावा बहुत से सर्जिकल सामान व कुछ दवाएं चीन से आती हैं, जिस तरह मास्क से लेकर पीपीई किट भारत में बनने लगी। उसी तरह ये सामान भी बनाए जाने चाहिए। -राजेंद्र सैनी, अध्यक्ष, दवा व्यापार मंडल कानपुर
- चीन से आयातित सामग्री की वजह से चर्म उद्योग विश्व में बेहतर मुकाबला करता है, लेकिन अब हालात बदले हैं। हमें अपने उत्पाद की क्वालिटी बढ़ाकर चीन का बाजार बंद करना होगा। -जफर फिरोज, आयात निर्यात विशेषज्ञ
- सरकार उद्यमियों को प्रोत्साहित करे, ज्यादा से ज्यादा चीजें यहां बनें। उद्यमियों को रियायत दी जाए। इसके अलावा जनता चीन के सस्ते माल की बजाय कुछ महंगा खरीदे तो चीन का बाजार पूरी तरह खत्म हो जाए। -सुनील वैश्य, पूर्व अध्यक्ष आइआइए
- कॉस्मेटिक कारोबार कानपुर में हर माह 200 करोड़ रुपये का है। जिसमें से आधा सामान चीन का है। ये सामान दिल्ली या मुंबई से आता है। स्थानीय उद्यमी इसका निर्माण करें तो चीन का सामान बंद हो जाए। -अजीत सिंह छाबड़ा, कॉस्मेटिक कारोबारी
- सरकार उद्यमियों व कारोबारियों से बात करे। उनकी जरूरत समझे तो हम सब कुछ तैयार कर सकते हैं। कानपुर व देश में हुनर की कमी नहीं है। यह होगा तो चीन की जरूरत ही नहीं रहेगी। -आरके सफ्फड़, केमिकल कारोबारी