कलयुग में भी हुआ था पांडवों का दोबारा जन्म, भगवन शिव ने दिया था श्राप

आप सभी ने अब तक कई ऐसी कथा सुनी होंगी जिन्हे सुनकर आपको यकीन नहीं हुआ होगा. ऐसे में आज हम लेकर आए हैं एक अनोखी कथा जिसे सुनकर आपको आश्चर्य होगा. इस कथा के बारे में भविष्यपुराण में बताया गया है.

शिवजी ने दिया था पांडवों को श्राप – जी दरअसल भविष्यपुराण के अनुसार, कुरुक्षेत्र के युद्ध में जब कौरव हार गए तो उनकी सेना में सिर्फ तीन लोग ही जीवित बचे थे- अश्वत्थामा, कृतवर्मा और कृपाचार्य. युद्ध समाप्त होने के बाद ये तीनों पांडवों के शिविर में गए. वहां भगवान शिव को देखकर अश्वत्थामा उनसे युद्ध करने लगा. वहीं अश्वत्थामा की वीरता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे पांडवों के शिविर में प्रवेश करने की आज्ञा दे दी और उसके बाद अश्वत्थामा ने पांडवों के शिविर में घुसकर शिवजी से प्राप्त तलवार से पांडवों के सभी पुत्रों का वध कर दिया. वहीं जब पांडवों को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने इसे भगवान शिव की ही करनी समझा और उनसे युद्ध करने चले गए. वहीं जैसे ही पांडव शिवजी से युद्ध करने पहुंचे, उनके सभी अस्त्र-शस्त्र शिवजी में समा गए. कहा जाता है शिवजी ने पांडवों को श्राप दिया कि तुम सभी श्रीकृष्ण के उपासक हो, इसलिए इस जन्म में तुम्हे इस अपराध का फल नहीं मिलेगा, लेकिन इसका फल तुम्हें कलियुग में फिर से जन्म लेकर भोगना पड़ेगा. वहीं भगवान शिव की यह बात सुनकर सभी पांडव दुखी हो गए और इसी विषय में बात करने और इसका हल जानने के लिए श्रीकृष्ण के पास पहुंच गए, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि ”कौन-सा पांडव कलियुग में कहां और किसके घर जन्म लेगा.” इस तरह पांडवों को कलयुग में जन्म लेकर भगवान शिव का विरोध करने का फल भुगतना पड़ा. आइए बताते हैं कलियुग में किस रूप में जन्मे पांडव.

कलयुग में इस रूप में जन्मे पांडव –
1. कलयुग में अर्जुन का जन्म परिलोक नाम के राजा के यहां ब्रह्मानन्द के नाम से हुआ था.
2. युधिष्ठिर वत्सराज नाम के राजा के पुत्र बनें जिनका नाम मलखान था.
3. भीम वीरण के नाम से जन्मे थे.
4. नकुल का जन्म कान्यकुब्ज के राजा रत्नभानु का यहां लक्षण के नाम से हुआ था.
5. सहदेव का जन्म भीमसिंह नामक राजा के घर में देवसिंह के नाम से हुआ था.

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