अक्सर लोग ज्ञान एवं कामयाबी को साथ जोड़ लेते हैं। जो ज्ञानवान है, वह कामयाब होगा ही-ऐसी धारणा जनमानस में प्रचलित है। किन्तु यह शत प्रतिशत सत्य नहीं है। निश्चित रूप से ज्ञानवान शख्स की चीजों को समझने या ग्रहण करने की क्षमता अन्य व्यक्तियों के मुकाबले में ज्यादा होती है, मगर कामयाब होने के लिए ज्ञान को उचित दिशा देना भी आवश्यक होता है।
वही बड़ी-बड़ी डिग्री लेकर अपनी शैक्षिक योग्यता को बहुत बढ़ा लेने वाले भी बौद्धिक अथवा ज्ञानी मान लिए जाते हैं, लेकिन सही अर्थों में ज्ञानी वह है, जिसके अंदर किसी भी बात अथवा हालात को ग्रहण करने की त्वरित व उच्च गुणवत्तापूर्ण क्षमता होती है। आसान शब्दों में कहें, तो यह कि जो शख्स अपने ज्ञान के हालात के अनुकूल शीघ्रता से इस्तेमाल कर समाधान पर खड़ा हो जाये, वही सच्चे अर्थों में ज्ञानवान है। वस्तुतः ज्ञान या बुद्धि का डिग्री अथवा उपाधि से संबंध नहीं होता। ज्ञान आनुवंशिक भी हो सकता है तथा स्वार्जित भी।
इसके साथ ही आनुवंशिक तौर पर ज्ञानवान मनुष्य को अपने पूर्वजों से ज्ञान की परम्परा विरासत में प्राप्त होती है, लेकिन उस ज्ञान का ठीक-ठीक विकास करने के लिए योग्य शिक्षा व अध्यापकों की जरुरत होती है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो वह शख्स जिंदगी में कामयाबी प्राप्त नहीं कर पाता। इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लीजिये, गुलाब के बहुत उत्तम बीज हमने भूमि में बोये, लेकिन उचित वक़्त पर पानी, खाद आदि नहीं देने पर वह गुलाब का पौधा या तो फूल नहीं देगा या कम देगा जबकि पर्याप्त तथा सही देखरेख से वही पौधा फूलों से लहलहा उठेगा। इसी तरह आप जन्मजात अथवा आनुवंशिक तौर पर ज्ञानसम्पन्न ना भी हों, तब भी अपने गहन परिश्रम व निष्ठावान कोशिशों से ज्ञानार्जन कर सकते हैं तथा फिर उस ज्ञान के बल पर कामयाबी हासिल कर सकते हैं।