पाकिस्तान में रह कर भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाला आतंकी मसूद अजहर अब ज्यादा दिनों तक नहीं बच सकेगा। पिछले एक दशक से अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारतीय कोशिशों को बुधवार को सफलता मिल सकती है। संयुक्त राष्ट्र की तरफ से गठित 1267 समिति के तत्वावधान में लाने का प्रस्ताव पारित किए जाने के आसार हैं। यह भारत की एक जबरदस्त कूटनीतिक सफलता भी मानी जाएगी। अब जबकि देश में आम चुनाव की प्रक्रिया चल रही है, तो इसके राजनीतिक परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं। खासतौर पर तब जब सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने राष्ट्रवाद को एक बड़ा मुद्दा बना रखा है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने अजहर के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराने को लेकर कई स्तरों पर कूटनीतिक कोशिशें जारी हैं। भारत के अलावा कुछ मित्र राष्ट्र भी इसमें मदद कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की तरफ से गठित 1267 समिति के प्रस्ताव की राह में चीन ही सबसे बड़ा बाधा था, लेकिन उसे मनाने की कोशिश में सफलता मिलने के संकेत हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर आम सहमति की तरफ बढ़ रहे हैं। सनद रहे कि चीन वर्ष 2009 से ही इस संबंध में लाए जाने वाले प्रस्ताव को रोकता रहा है। चीन ऐसा कदम अपने मित्र राष्ट्र पाकिस्तान को मदद करने के लिए कर रहा है।
जब इस पड़ोसी देश पर एफएटीएफ के प्रतिबंध का तलवार लटक रही है। वैसे जानकारों की मानें तो अजहर पर उक्त प्रतिबंध लगने के बावजूद पाकिस्तान में आतंकवाद को लेकर जमीनी हालात में बहुत बदलाव नहीं आएगा। रणनीतिक मामलों के प्रमुख जानकार ब्रह्मा चेलानी का कहना है, ‘अमेरिका ने हाफिज सईद पर वर्ष 2012 में प्रतिबंध लगवाया और उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम भी घोषित किया, लेकिन अब तक वह पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है और भारत में आतंकी हमले करवाने की साजिश रच रहा है।’ हालांकि, इसका बड़ा असर यह होगा कि पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करने में मदद मिलेगी। खासतौर पर तब,