ओडिशा के बालेश्वर में हुए भीषण सड़क हादसे में बाहानगा बाजार के स्टेशन मास्टर सहित लगभग 12 रेल कर्मचारी सीबीआई व रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की रडार पर हैं। इनकी भूमिका की गहनता से जांच की जा रही है। दक्षिण पूर्व रेलवे (दपूरे) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।
जांच के दायरे में आए स्टेशन कर्मी व सेक्शन स्टाफ
दो जून को हुए इस हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई थी और एक हजार से अधिक यात्री घायल हुए थे। दपूरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी आदित्य चौधरी ने बताया कि सीबीआई और सीआरएस की अलग-अलग कई टीमें रेल दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए अलग-अलग जांच कर रही है।
उन्होंने बताया कि जो रेल कर्मचारी जांच के दायरे में हैं, उनमें स्टेशन के सारे कर्मचारी व सेक्शन स्टाफ शामिल हैं। सेक्शन में ही सिग्नल से जुड़े कर्मी भी आते हैं। उन सभी से सीबीआई द्वारा पूछताछ की जा रही है।
अंतिम रिपोर्ट जल्द मिलने की है उम्मीद
हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि जांच सौंपे जाने के बाद से सीबीआई की कई टीमें, जिसमें फोरेंसिक दल भी शामिल हैं, दुर्घटनास्थल पर जांच में जुटी हुई है।
सीबीआई टीम द्वारा जो भी जानकारी व ब्योरा रेलवे से मांगा जा रहा है उसे तुरंत उपलब्ध कराया जा रहा है। दुर्घटना के कारणों के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि अभी तक कोई जांच रिपोर्ट नहीं आई है। सीआरएस से जल्द ही अंतिम रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है।
आखिर क्यों हरा हुआ कोरोमंडल का सिग्नल?
इससे पहले रेल मंत्री एवं रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने इंटरलाकिंग प्रणाली से संभावित छेड़छाड़ का संकेत दिया था, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए सिग्नल हरा हो गया और यह लूप लाइन की ओर निर्देशित हो गई, जहां यह एक खड़ी हुई मालगाड़ी से टकरा गई।
स्वचालित इंटरलाकिंग प्रणाली में गड़बड़ी को इस घटना की बड़ी वजह के तौर पर देखा जा रहा है। अधिकारी ने कहा- जांच की जा रही है कि क्या प्रणाली से छेड़छाड़ जानबूझकर की गई थी या यह गलती से हुआ था?