एससी-एसटी आरक्षण के फैसले के विरोध में भारत बंद को लेकर भोपाल पुलिस अलर्ट

एससी-एसटी आरक्षण में सब कैटेगराइजेशन को लेकर देशभर में सुप्रीम कोर्ट के फैसला का विरोध हो रहा है। इसे लेकर आज 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ बुलाया गया है। एमपी में एसपी और जयस ने इसका समर्थन किया है। ऐसे में बंद को लेकर चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात है।

एससी एसटी आरक्षण के फैसले के विरोध में कई संगठनों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है। राजधानी भोपाल में इसे लेकर पुलिस पूरी तरह सतर्क है। पहले से पूरी व्यवस्थाएं की गई है। इधर गृह विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों, पुलिस कमिश्नरों और एसपी को कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। भारत बंद के आह्वान को लेकर कोई अप्रिय स्थिति न बने, इसलिए उचित कानून व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।

सपा के प्रदेश अध्यक्ष, विधायक अलावा और बरैया ने दिया समर्थन
इधर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने भी वीडियो जारी कर बंद को समर्थन देने का ऐलान किया। धार जिले की मनावर सीट से कांग्रेस विधायक और जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा और भांडेर से कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया इस बंद के समर्थन में हैं। वहीं, कांग्रेस ने इस बंद को लेकर फिलहाल स्थिति साफ नहीं की है। इधर, पुलिस-प्रशासन बंद को लेकर अलर्ट है। गृह विभाग ने कानून व्यवस्था को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज कराने बंद
जानकारी के लिए बतादें कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए देश भर के दलित और आदिवासी संगठनों बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया है। नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (एनएसीडीएओआर) ने मांगों की एक सूची जारी की है, जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग शामिल हैं। एनएसीडीएओआर ने सरकार से अनुरोध किया है कि इस फैसले को खारिज किया जाए क्योंकि यह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों के लिए खतरा है।

संगठन एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर संसद द्वारा एक नये कानून को पारित करने की भी मांग कर रहा है, जिसे संविधान की नौवीं सूची में समावेश के साथ संरक्षित किया जाए।बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने 6-1 की बहुमत से एक बड़ा फैसला दिया था। इसमें एससी-एसटी समुदाय में उप कोटा लागू करने को सही ठहराया गया था। इसके साथ ही पीठ ने एससी-एसटी आरक्षण में ओबीसी आरक्षण की तरह क्रीमी लेयर का फॉर्मूला लागू करने का सुझाव दिया था।

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