एम्स प्रशासन ने सितंबर तक संस्थान में डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी दूर करने की बात कही थी लेकिन अभी तक सहायक प्रोफेसर स्तर के डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। नवंबर 2021 में करीब 250 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी जो करीब एक वर्ष में पिछले वर्ष पूरी हुई।
एम्स पहले से डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। ओपीडी में भी इलाज के लिए मरीजों को लंबी तारीखें दी जाती है।
इस बीच एम्स प्रशासन ने बगैर कोई कारण बताए संविदा पर विभिन्न विभागों में नियुक्त 14 सहायक प्रोफेसरों को नौकरी से निकाल दिया है। एक जुलाई को एम्स प्रशासन ने उन्हें सेवा मुक्त करने का आदेश जारी किया है। इस फैसले से संस्थान के डॉक्टर हैरान हैं।
लंबे समय से डॉक्टरों के नए पद नहीं हुए स्वीकृत
एम्स में डॉक्टरों के 1131 पद स्वीकृत है। मौजूदा समय में करीब 850 फैकल्टी हैं। इस वजह से फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों के करीब 281 पद खाली पड़े हैं। यह हाल तब है जब लंबे समय से ज्यादातर विभागों में डॉक्टरों के नए पद स्वीकृत नहीं किए गए हैं।
हाल के वर्षों में बने राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ), सर्जरी ब्लाक, मातृ एवं शिशु ब्लाक, जेरियाट्रिक ब्लाक और बर्न व प्लास्टिक सर्जरी ब्लाक के लिए ही डॉक्टरों के पद स्वीकृत हुए हैं। डॉक्टरों की कमी और मरीजों के दबाव के मद्देनजर एम्स में संविदा पर सहायक प्रोफेसर नियुक्त किए जाते रहे हैं।
एम्स प्रशासन ने सितंबर तक संस्थान में डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी दूर करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक सहायक प्रोफेसर स्तर के डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
नवंबर 2021 में करीब 250 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी, जो करीब एक वर्ष में पिछले वर्ष पूरी हुई। इसके अलावा पिछले वर्ष मई में 21 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर नियुक्तियां की गईं। इसके बाद पिछले एक वर्ष में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए अभी तक कोई नई प्रक्रिया नहीं भी नहीं की गई है।
ऐसे में सितंबर तक डॉक्टरों की कमी दूर कर पाना संभव नहीं दिख रहा है। एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि सभी स्वीकृत पदों पर सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्ति के बाद ही संविदा पर नियुक्त डॉक्टरों के संदर्भ में फैसला लेना चाहिए था। इस मामले पर एम्स प्रशासन फिलहाल कुछ बोलने को तैयार नहीं है।