तेलंगाना पुलिस ने मोबाइल एप के जरिये तत्काल लोन देने वाली कंपनियों के खिलाफ जांच में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) और अन्य एजेंसियों की मदद मांगी है। ये कंपनियां तत्काल कर्ज देने के लिए ज्यादा ब्याज वसूलती हैं और पैसे लौटाने में जरा सी देर पर लोन लेने वालों का उत्पीड़न करती हैं। इनके उत्पीड़न के चलते अब तक पांच लोगों ने खुदकुशी कर ली है।
पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि डाटा का विश्लेषण करने वाले विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है, इस माध्यम से होने वाली लेनदेन का पता लगाया जा सके। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि अब तक 21 हजार करोड़ रुपये के 1.4 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए हैं।
पुलिस ने इससे पहले कहा था कि विभिन्न पेमेंट गेटवे और इन कंपनियों से जुड़े बैंक खातों के जरिये ट्रांजेक्शन किए गए हैं। बिटक्वाइन के माध्यम से भी बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शन के प्रमाण मिले हैं। ज्यादातर लेनदेन पिछले छह महीने के भीतर हुई है।
अधिकारियों ने कहा कि अभी तक एक पेमेंट गेटवे से उन्हें डाटा मिला है। अन्य पेमेंट गेटवे से डाटा मांगा जा रहा है। एप के जरिये लोन देने वाली कंपनियों के कई बैंक खातों का भी पता चला है, जिनके बारे में विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।
बता दें कि इस मामले में अब तक पांच चीनी नागरिकों समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। तेलंगाना में तीन और चेन्नई में दो चीनी नागरिकों की गिरफ्तारी हुई थी।
ये कंपनियां एप के जरिये लोगों को कर्ज के जाल में फंसाती हैं। कर्ज लेने वालों के फोन से उनके सारे कांटेक्ट और फोटो भी ये कंपनियां ले लेती हैं। कर्ज चुकाने में मामूली देरी पर भी कंपनियों की तरफ से काल सेंटर के जरिये लोगों को परेशान किया जाता है। यही नहीं उनके जानने वालों और रिश्तेदारों को भी कर्ज देने वालों की तरफ से फोन किया जाता है और रकम वसूली के लिए दबाव बनाया जाता है। इसकी वजह से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर समेत अब तक पांच लोग खुदकुशी कर चुके हैं।