मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित मैहर धाम जो माँ शारदा का एक प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त की हर एक मनोकामना पूर्ण होती है. चाहे वह विवाह , संतान , नौकरी ,या अन्य कोई भी हो माता रानी भक्तों पर अपनी विशेष कृपा करती है. और उनके कष्ट -क्लेशों को दूर करती है. माँ का यह स्थान न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि इस मंदिर में विविध आयाम भी हैं.
पर्वत पर स्थित इस मंदिर का दृश्य बड़ा ही रोचक और मनभावन है . माँ के इस स्थान तक पहुँचने के लिए 1063 सीढ़ियां बनाई गई है. इस मंदिर में दर्शन के लिए हर वर्ष लाखों भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है. दूर-दूर से भक्त आते है. और माँ को चोला चढ़ाते है. बहुत से लोग अपनी मन्नत को लेकर- कोई नंगे पैर , तो कोई जमीन पर लौटते हुए विभिन्न प्रकार से यहां आते है और माँ के दर्शन पाते है. इस मंदिर के समीप आल्हा और ऊदल, का अखाड़ा भी स्थित है . इस अखाड़े के समीप एक तालाब भी स्थित है. बताया जाता है कि ये आल्हा और ऊदल, इस तालाब में स्नान करने के बाद माँ की आराधना करने के लिए मंदिर जाते और फिर इसके पश्चात ही अखाड़े में उतरते थे .
जानें क्यों रात्रि में यहाँ नहीं रुक सकते भक्त –
यह मैहर माता का मंदिर सिर्फ रात्रि 2 से 5 बजे तक बंद किया जाता है, इसके पीछे एक बहुत ही बड़ा रहस्य छुपा है. वस्तुतः ऐसी मान्यता है कि आल्हा और ऊदल, माता के सबसे बड़े भक्त आज तक, इतने वर्षों के बाद भी माता के पास आते हैं. रात्रि 2 से 5 बजे के बीच आल्हा और ऊदल, आज भी रोज़ मंदिर आकर माता रानी का सबसे पहले दर्शन करते हैं. और उनकी आराधना , पूजा-पाठ , माँ का श्रृंगार भी करते है .
आपने भी सुना होगा की विज्ञान दृष्टिकोण से धर्म को लेकर बहुत से सवाल उठते है. पर चाहे वो मैहर शारदा मां का मंदिर हो या फिर मथुरा का निधि वन, धर्म के आगे विज्ञान भी घुटने टेक लेता है. यह आज भी सत्य है की रात्रि 2 से सुबह 5 बजे के दौरान कोई भी मंदिर में न ही रुक सकता और न ही इस समय में जा सकता अन्यथा उसकी मौत अवश्य होगी ऐसा प्रमाणित है . मानव तो क्या अन्य जीव भी इस दौरान इस स्थान को छोड़ देते है.
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