उन्नाव दुष्कर्म कांड में माखी थाने के तत्कालीन एसओ अशोक सिंह भदौरिया और दारोगा की गिरफ्तारी के बाद अब सीबीआइ उन्नाव की तत्कालीन एसपी पुष्पांजलि देवी सहित अन्य की भूमिका की सिलसिलेवार पड़ताल करेगी। आरोपित अशोक सिंह व दारोगा कामता प्रसाद को गुरुवार को सीबीआइ की प्रभारी विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट विनीता सिंह की कोर्ट में पेश किया गया।
कोर्ट ने दोनों आरोपितों को 28 मई तक के लिए न्यायिक हिरासत में लेते हुए सीबीआइ को तीन दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड पर दिया है। पुलिस कस्टडी रिमांड की अवधि शुक्रवार सुबह 10 बजे से शुरू होगी। सीबीआइ ने दोनों आरोपितों को लखनऊ जिला कारागार में दाखिल करा दिया। अब सीबीआइ शुक्रवार सुबह दोनों आरोपितों को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ करेगी।
सीबीआइ अब तत्कालीन एसओ व दारोगा कामता प्रसाद से अन्य आरोपितों की भूमिका के बारे में पूछताछ करेगी। सीबीआइ खासकर यह पता लगाएगी कि तत्कालीन एसओ व अन्य पुलिसकर्मियों ने किसके दबाव में फर्जी तरीके से तमंचा की बरामदगी दिखाकर पीडि़त किशोरी के पिता को जेल भेजा था। इसके लिए उनसे किस-किस ने संपर्क किया था अथवा दबाव बनाया था। पुलिसकर्मियों ने महज दबाव में ही ऐसा किया था अथवा उन्होंने किसी से कोई डील भी की थी।
विधायक के भाई से कराया जा सकता है सामना
सीबीआइ तत्कालीन एसओ व दारोगा को लेकर उन्नाव भी जा सकती है। इसके अलावा उनका सामना भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई हत्यारोपित अतुल सिंह से सामना भी कराया जा सकता है।
जमानत अर्जी पर सुनवाई 21 को
विधि संवाददाता के अनुसार आरोपित पुलिसकर्मियों के वकील नितिन माथुर ने उनकी जमानत याचिका दाखिल की, जिस पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 21 मई की तारीख तय कर दी। सीबीआइ की ओर से आरोपितों को 10 दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मांगी गई। अर्जी में कहा गया कि सीबीआइ जांच में सामने आया है कि पीडि़त किशोरी के पिता के पास से कोई अवैध हथियार बरामद नहीं हुआ था।
पुलिस ने फर्जी तरीके से तमंचे की बरामदगी दिखाई। आरोपितों को रिमांड पर दिए जाने की मांग करते हुए कहा गया कि आरोपितों से बरामद दिखाए गए 12 बोर के तमंचे को प्राप्त करने के श्रोत व टिंकू सिंह के नाम से दी गई अर्जी के लेखक का नाम सहित अन्य तथ्यों को पता किया जाना है। इस पर कोर्ट ने तीन दिनों की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर कर दी।