कोरोना महामारी के कारण पिछले साढ़े ग्यारह महीने से बंद प्रदेश के सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी प्राइमरी स्कूलों (कक्षा एक से पांच तक) में सोमवार से रौनक लौटी। स्कूल बच्चों की पढ़ाई के लिए खुले। शारीरिक दूरी बनाते हुए व कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिया गया। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नरही स्थित एक प्राथमिक स्कूल का दौरा किया और छात्रों से बात की। कक्षा एक से पांचवीं तक के स्कूलों में पहले दिन 50 फीसद बच्चे बुलाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने दी बच्चों को चाकलेट, पूछे ये सवाल: कक्षा पांच की सोनाली यादव को सीएम योगी ने चाकलेट देकर पूछा कि आप कितने माह बाद स्कूल आए हैं? वहीं, छात्रा ने बताया कि 11 माह 22 दिन बाद स्कूल आए हैं। सीएम ने अपने दौरे में बच्चों को शारीरिक दूरी व कोविड प्रोटोकॉल के पालन के निर्देश दिए। वहीं, रूपली कुमारी से मुख्यमंत्री ने पूछा कि आपको इतने माह बाद स्कूल आकर कैसा लग रहा है। जिसपर बच्ची ने जवाब दिया कि सर, अच्छा लग रहा है।
तिलक कर बच्चों का स्वागत: वहीं, उच्च प्राथमिक विद्यालय में टीचरों ने रोली और चंदन लगाकर व टॉफी-गुब्बारों देकर बच्चों का स्वागत किया गया। उधर, बीकेटी में परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को टाफी-बिस्कुट वितरित किया गया।
गौरतलब कि कोरोना संक्रमण के कारण शासन ने पिछले साल 13 मार्च को प्रदेश में कक्षा एक से आठ तक के सभी स्कूलों को बंद करने का निर्देश दिया था।
कक्षाएं संचालित करने को जारी किया गया शेड्यूल
कक्षाएं सुबह नौ से तीन बजे तक चलेंगी।
सोमवार व बृहस्पतिवार को कक्षा एक व पांच की कक्षाएं।
मंगलवार व शुक्रवार को कक्षा दो व चार की कक्षाएं।
बुधवार व शनिवार को कक्षा तीन की कक्षाएं संचालित होंगी।
कोरोना से सुरक्षा के मद्देनजर जारी किए गए विद्यालयों को निर्देश
बच्चों में छह फीट की दूरी और मास्क लगाना जरूरी होगा।
नए दाखिलों के दौरान आहर्ताएं पूरी करने के लिए अभिभावक को ही बुलाया जाए, न कि बच्चों को।
विद्यालयों को आयोजनों से बचना होगा। अगर आवश्यक हो तो शारीरिक दूरी का ध्यान रहे।
खेलकूद और अन्य प्रकार के कार्यक्रम नहीं होंगे।
विद्यालय में शिक्षकों एवं छात्रों की नियमित जांच की व्यवस्था की जाए।
अगर विद्यालय में कोई कोविड-19 का संदिग्ध हो तो उसे तत्काल आइसोलेट कर दिया जाए।
विद्यालयों में कक्ष, शौचालय, दरवाजे, कुंडी, सीट का निरंतर सैनिटाइजेशन हो व साफ-सफाई होनी चाहिए।
बच्चों के पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
बच्चे पाठ्य पुस्तकें, नोटबुक, पेन और लंच किसी से साझा न करें।
विद्यालय में कक्षों के दरवाजे खुले रखे जाएं। बाहरी वेंडर को विद्यालय के अंदर खाद्य सामग्री बेचने की अनुमति नहीं होगी।
बच्चों के रिक्शे, बसों आदि की समुचित सैनिटाइजेशन की व्यवस्था होनी चाहिए।
जहां तक संभव हो बस पर चढऩे से पहले बच्चों की थर्मल स्क्रीनिंग होनी चाहिए।
विद्यालय में प्रवेश के समय बच्चों की थर्मल स्क्रीनिंग होनी चाहिए।
विद्यालय अथवा उसके आसपास स्वास्थ्यकर्मी, नर्स और डाक्टर की व्यवस्था होनी चाहिए।
छात्र-छात्राओं को विद्यालय बुलाने से पहले उनके अभिभावकों की सहमति आवश्यक है।
बच्चों के घर वाले अगर उन्हें विद्यालय नहीं भेजना चाहते हैं तो उन्हें घर पर ही पढ़ने की अनुमति दी जाए।