गंभीर सड़क हादसों और ब्रेन स्ट्रोक से जूझ रहे मरीजों के इलाज के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डीप लर्निंग तकनीक नई उम्मीद जगाएगा। इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) के शिक्षकों को पीजीआई के न्यूरोसर्जन के साथ संयुक्त प्रोजेक्ट काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (सीएसटी) ने स्वीकृत किया है।
इसके तहत एआई का प्रयोग करते हुए ब्रेन सर्जरी के लिए कितने स्पेश की जरूरत है, यह आकलन किया जाएगा। आईईटी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. पवन कुमार तिवारी ने बताया कि पीजीआई के न्यूरोसर्जन डॉ. आशुतोष कुमार के साथ यह शोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ब्रेन में बहुत जगह नहीं होती है।
समझने और उपचार रणनीति बनाने में मदद मिलेगी
ऐसे में सर्जरी के लिए सटीक जगह का विश्लेषण काफी उपयोगी होगा। इस शोध का मुख्य उद्देश्य एआई और डीप लर्निंग तकनीक की मदद से सर्जरी के बाद होने वाली मस्तिष्क की सूजन के प्रभावों का पूर्व से ही विश्लेषण करना है। इससे डॉक्टरों को मरीज की स्थिति को बेहतर समझने और व्यक्तिगत उपचार रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि इस शोध के लिए 13 लाख का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ है। इस शोध दल में सह-प्रमुख अन्वेषक प्रो. गिरीश चंद्र विभागाध्यक्ष कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग आईईटी और डॉ. अनिल कुमार सिंह रेडियोलॉजिस्ट पीजीआई भी शामिल हैं। डॉ. पवन तिवारी ने कहा कि यह तकनीक विशेष रूप से गंभीर सड़क हादसों और ब्रेन स्ट्रोक से प्रभावित मरीजों की जान बचाने में कारगर साबित होगी।
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