उत्तराखंड: सरकारी भवनों में मिल रहे डेंगू के लार्वा, 51 नए मरीजों की पुष्टि

डेंगू का डंक उत्तराखंड की राजधानी दून में विकराल होता जा रहा है। इस बीमारी को फैलाने वाले मच्छर सरकारी भवनों में भी पनप रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार लोग इस ओर मुंह मोड़े हुए हैं। 

डेंगू की रोकथाम व बचाव के लिए विभागीय स्तर से किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। ऐसा होना भी लाजिमी है। क्योंकि जिम्मेदार ही इस मुहिम को फेल करने पर तुले हैं। पूर्व में स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम प्रशासन द्वारा सख्ती दिखाते हुए कहा गया था कि जिन घरों में मच्छर का लार्वा मिलेगा, उनका चालान किया जाएगा। एक-दो दिन ऐसा किया भी गया।

अब बारी सरकारी महकमों की आई तो कदम ठिठक गए। सचिवालय से लेकर विकास भवन, पुलिस लाइन आदि जगह निरीक्षण के दौरान कूलरों में मच्छर का लार्वा मिला। इसके बावजूद यहां पर किसी का चालान नहीं किया गया। 

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मंगलवार को भी विधानसभा परिसर, नारी निकेतन, किशोर गृह, शिशु निकेतन, बालिका निकेतन आदि का निरीक्षण किया। जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी सुभाष जोशी की अगुवाई में इन सरकारी कार्यालयों व आवासीय परिसरों में निरीक्षण करने पहुंची टीम को अधिकांश कूलरों व छत पर रखी टंकियों में मच्छर का लार्वा मिला। जगह-जगह पानी एकत्र मिला। 

इस पर टीम ने संबंधित विभागों के अधिकारियों से संपर्क कर कूलरों व टंकियों से पानी खाली कराया। मच्छर का लार्वा भी नष्ट किया गया। साथ ही कहा गया कि फिलहाल कूलरों को बिना पानी डाले ही प्रयोग में लाया जाए। परिसर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी कहा गया है। वहीं नगर निगम को संबंधित स्थानों पर तत्काल प्रभाव से फॉगिंग करने को कहा गया। 

दफ्तरों व आवासीय परिसरों में रहने वाले लोगों को डेंगू की बीमारी के कारण व बचाव के बारे में जानकारी दी गई। टीम में सहायक मलेरिया अधिकारी जय कृष्ण बंपाल, इंद्रपाल सिंह, सुमित्रा रौथाण आदि भी शामिल रहे। उधर, स्वास्थ्य विभाग द्वारा नेहरुग्राम-डोभाल चौक में स्वास्थ्य कैंप भी लगाया गया। जहां पर बुखार से पीड़ित रोगियों को दवा वितरित की गई। 

बेलगाम हुआ डेंगू, 51 नए मरीजों में पुष्टि

उत्तराखंड में डेंगू बेकाबू होता जा रहा है। स्थिति यह कि डेंगू फैलाने वाला मच्छर एडीज अब सीमाएं लांघ रहा है। लगातार डेंगू के बढ़ते मामलों को देख स्वास्थ्य महकमे के भी हाथ-पांव फूल रहे हैं। विभागीय अधिकारियों को सूझ नहीं रहा है कि सीमा लांघने के लिए आमादा डेंगू के मच्छर की सक्रियता कम करने के लिए आखिर क्या उपाय किया जाए। 

राज्य में कुल पीड़ितों की संख्या 483 पहुंची 

अब तक जितने भी उपाय किए गए हैं, वह मच्छर की सक्रियता के आगे बौने ही साबित हुए हैं। ताजा रिपोर्ट में डेंगू पीड़ितों की जो संख्या सामने आई है, वह चिंता में डाल सकती है। देहरादून में 51 लोगों में डेगू की पुष्टि हुई है। इनमें 32 पुरुष व 19 महिलाएं हैं। यह सभी मरीज अलग-अलग क्षेत्रों के रहने वाले हैं। देहरादून में डेगू पीड़ितों की संख्या अब 471 हो गई है। जबकि अन्य जनपदों के 12 मरीजों को भी इसमें शामिल किया जाए तो राज्य में डेगू का आंकड़ा 483 हो जाता है। 

सकते में आया स्वास्थ्य विभाग 

एक ही दिन में डेगू के इतने अधिक मामले आने से स्वास्थ्य विभाग सकते में आ गया है। विभागीय अधिकारियों ने एक बार फिर जिम्मेदारों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को अलर्ट किया गया है। मरीजों के उपचार में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतने के निर्देश अस्पताल प्रबंधकों को दिए गए हैं। 

इस सीजन में डेगू के कारण एक महिला मरीज की मौत भी हो चुकी है। चिंता की बात यह है कि जुलाई की अपेक्षा अगस्त में डेगू ज्यादा विकराल हुआ है। अब तक जिन 483 मरीजों में डेगू की पुष्टि हुई है, उनमें चार सौ के करीब मरीजों में इसी माह डेंगू का डंक लगा है। विभागीय अधिकारी लगातार दावा कर रहे हैं कि डेंगू की रोकथाम व बचाव केलिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। प्रभावित क्षेत्रों को हर रोज विभागीय टीम दौरा कर रही है। लोगों को बीमारी से बचाव के बारे में जानकारी दी जा रही है। जिन घरों में मच्छर का लार्वा मिल रहा है, उसको नष्ट किया जा रहा है। 

नगर निगम द्वारा क्षेत्रों में लगातार फॉगिंग कराई जा रही है। वहीं प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य बुखार वाले लोगों को दवाईयां दी जा रही हैं और डेंगू के संदिग्धों के ब्लड सैंपल लेकर एलाइजा जांच के लिए दून अस्पताल की लैब में भेजे जा रहे हैं। लेकिन इन सबके बावजूद डेंगू का डंक है कि कमजोर नहीं हो रहा है।

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