ड्रोन की उड़ान आसान नहीं है। ड्रोन कॉरिडोर बनाने के पीछे एक मकसद यह भी था कि इससे ऐसे रास्ते तैयार किए जाएं जो हवाई सेवाओं को बाधित न करें। करीब दो साल से ड्रोन काॅरिडोर की दिशा में कोई कदम नहीं बढ़ पाया है।
प्रदेश में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन नीति तो बन गई। विभिन्न विभागों में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर भी सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) ने कंपनियों को सूचीबद्ध कर दिया लेकिन ड्रोन काॅरिडोर नहीं बन पाए हैं। केवल उत्तरकाशी का एक ही काॅरिडोर वर्तमान में संचालित है।
ड्रोन काॅरिडोर बनाने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) से अनुमति मिलने के बाद राज्य में ड्रोन के कॉरिडोर तय होने थे। सभी जिलों में ड्रोन संचालन के लिए जो कॉरिडोर बनेंगे उन्हें आपस में लिंक किया जाना था। इसके बाद प्रदेश में ड्रोन के समर्पित रास्तों का पूरा नेटवर्क तैयार होना था। ड्रोन कॉरिडोर बनाने के पीछे एक मकसद यह भी था कि इससे ऐसे रास्ते तैयार किए जाएं जो हवाई सेवाओं को बाधित न करें। करीब दो साल से ड्रोन काॅरिडोर की दिशा में कोई कदम नहीं बढ़ पाया है।
इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि सीमांत राज्य होने के नाते जगह-जगह प्रतिबंधित क्षेत्र हैं। उन क्षेत्रों में बिना सेना की अनुमति ड्रोन का संचालन नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में केवल देहरादून से उत्तरकाशी का ड्रोन काॅरिडोर ही चिह्नित है। इस काॅरिडोर के माध्यम से एम्स ऋषिकेश भी ड्रोन से स्वास्थ्य सुविधाएं दे चुका है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal