उत्तराखंड का जायका: मंडुवे की रोटी से झंगोरे की खीर तक

जब हम उत्तराखंड का नाम लेते हैं, तो दिमाग में बर्फीले पहाड़, ठंडी हवाएं और शांत मंदिर आते हैं, लेकिन देवभूमि की यात्रा तब तक अधूरी है, जब तक आप वहां के ‘पहाड़ी खाने’ का स्वाद न चख लें। यहां का खाना सादा और सात्विक होता है, लेकिन स्वाद ऐसा कि आप फाइव-स्टार होटल के पकवान भी भूल जाएंगे।

सोचिए… आप घुमावदार पहाड़ी रास्तों पर चल रहे हैं, देवदार के पेड़ों से छनकर आती ठंडी हवा आपके चेहरे को छू रही है और अचानक, हवा में एक सौंधी सी खुशबू आती है- शुद्ध घी, ‘जखिया’ का तड़का और लकड़ी के चूल्हे पर पकती हुई दाल की। क्या आपके मुंह में पानी आया?

अक्सर हम पहाड़ों पर सिर्फ नजारे देखने जाते हैं, लेकिन सच तो यह है कि देवभूमि उत्तराखंड की असली खूबसूरती वहां की ‘रसोई’ में छिपी है। यहां का खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं होता, यह आपको पहाड़ की ताजगी और अपनापन महसूस कराने के लिए होता है।

शायद यह वहां की हवा और पानी का जादू है, या फिर लोहे की कड़ाही में धीमे-धीमे खाना पकाने का तरीका, लेकिन एक साधारण से पहाड़ी ढाबे पर खाई गई थाली का स्वाद, बड़े-बड़े फाइव-स्टार होटलों पर भारी पड़ता है।

आलू के गुटके

पहाड़ों की चाय के साथ अगर ‘आलू के गुटके’ मिल जाएं, तो मजा दोगुना हो जाता है। यह एक सूखी सब्जी है जिसे उबले हुए आलू और पहाड़ी मसालों से बनाया जाता है। इसमें ‘जखिया’ (पहाड़ी जीरा) का तड़का लगाया जाता है, जो इसे एक कुरकुरा और अनोखा स्वाद देता है।

भट्ट की चुर्कानी

यह उत्तराखंड की सबसे मशहूर डिश मानी जाती है। काले भट्ट (एक प्रकार का सोयाबीन) को लोहे की कढ़ाई में भूनकर और धीमी आंच पर पकाकर इसे बनाया जाता है। चावल के साथ इसका गहरा काला रंग और खट्टा-नमकीन स्वाद बहुत ही लाजवाब लगता है।

मंडुवे की रोटी

सर्दियों में पहाड़ी घरों में मंडुवे (रागी) की रोटी खूब बनती है। यह गहरे रंग की होती है और फाइबर से भरपूर होती है। जब इस गरमा-गरम रोटी पर ढेर सारा घर का बना ‘सफेद मक्खन’ या घी लगाकर गुड़ के साथ खाया जाता है, तो स्वाद का कोई मुकाबला नहीं होता।

काफुली

अगर आपको हरी सब्जियां पसंद हैं, तो काफुली आपकी फेवरेट बन जाएगी। इसे पालक और मेथी के पत्तों को पीसकर बनाया जाता है। इसे तब तक पकाया जाता है जब तक कि यह गाढ़ी और मलाईदार न हो जाए। यह स्वाद के साथ-साथ आयरन का भी बेहतरीन स्रोत है।

झंगोरे की खीर

झंगोरा पहाड़ों में पाया जाने वाला एक अनाज है। इसकी खीर दूध, सूखे मेवे और केसर डालकर बनाई जाती है। यह साधारण चावल की खीर से कहीं ज्यादा स्वादिष्ट और पचने में हल्की होती है।

फाणु

फाणु अलग-अलग तरह की दालों, खासकर गहत या अरहर को रात भर भिगोकर और फिर पीसकर बनाया जाता है। यह एक तरह की गाढ़ी ग्रेवी (कढ़ी जैसी) होती है। इसका स्वाद बहुत ही अलग और सौंधा होता है।

गहत की दाल

पहाड़ी लोग गहत (कुलथ) की दाल को दवा भी मानते हैं। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए यह कड़कड़ाती ठंड में शरीर को गर्मी देती है। इसे भी चावल के साथ खाया जाता है और यह पेट के लिए बहुत फायदेमंद होती है।

चैंसू

चैंसू को काली उड़द की दाल से बनाया जाता है। खास बात यह है कि इसमें दाल को पहले भूना जाता है और फिर दरदरा पीसकर पकाया जाता है। भुनी हुई दाल की खुशबू इसे बाकी दालों से बिल्कुल अलग बनाती है।

सिंगोड़ी

यह कुमाऊं की एक खास मिठाई है। सिंगोड़ी को मावा और नारियल से बनाया जाता है, लेकिन इसकी प्रस्तुति इसे खास बनाती है। इसे ‘मालू’ के पत्ते में कोन की तरह लपेटा जाता है। पत्ते की भीनी-भीनी खुशबू मिठाई में घुल जाती है जो इसे बेमिसाल बनाती है।

अगली बार जब आप नैनीताल, मसूरी या केदारनाथ की यात्रा पर जाएं, तो पिज्जा-बर्गर छोड़कर किसी छोटे से ढाबे पर रुकें और इन पहाड़ी पकवानों का स्वाद जरूर चखें। यकीन मानिए, “देवभूमि का यह जायका आपके दिल में बस जाएगा।”

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com