अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से आयोजित एलटी और कनिष्ठ सहायक डाटा इंट्री आपरेटर की लिखित परीक्षा में 22 अभ्यर्थियों ने फर्जी अभ्यर्थियों के माध्यम से परीक्षा दी। ओएमआर शीट की स्कैनिक में हुए खुलासे के बाद पुलिस ने अज्ञात पर धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। फिलहाल मामले में किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस जांच कर रही है।
पुलिस के मुताबिक अधीनस्थ सेवा चयन आयोग कार्यालय, रिंग रोड रायपुर, देहरादून के राजन नैथानी पुत्र आरसी नैथानी ने सौंपी तहरीर में कहा था कि 21 जनवरी 2018 को सहायक अध्यापक की लिखित प्रतियोगी परीक्षा थी। इसके बाद छह मई 2018 को कनिष्ठ सहायक डाटा इंट्री आपरेटर की लिखित प्रतियोगी परीक्षा थी। परीक्षा के ओएमआर स्कैनिक के दौरान पता चला कि ऊधमसिंहनगर के 22 अभ्यर्थियों ने षड़यंत्र के तहत फर्जी अभ्यर्थियों के माध्यम से परीक्षा दी थी।
यही नहीं अभ्यर्थियों का यह षड़यंत्र आवेदन पत्र भरने के साथ शुरू हो गया था। आवेदन पत्रों में भी स्पष्ट हुआ कि ईमेल के कॉल में कई अभ्यर्थियों की एक ही ईमेल आईडी का प्रयोग किया गया था। इस पर आयोग ने परीक्षा परिणाम रोक दिया था। आशंका जताई कि यह षड़यंत्र गिरोह द्वारा अपने लाभ के लिए प्रतियोगी परीक्षा में आयोग्य अभ्यर्थियों को भर्ती किए जाने का प्रयास था। उन्होंने पुलिस से कार्रवाई की मांग की थी। मामले में पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धारा 420, 120बी व 419 के तहत केस दर्ज कर लिया है। कोतवाल कैलाश भटट ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
रोल नंबरों के खेल में पकड़ में आए मुन्ना भाई
नौकरी पाने के चक्कर में ओएमआर सीट में रोल नंबरों के खेल में मुन्ना भाई पकड़े गए। इसमें एक महिला भी शामिल है। 22 अभ्यर्थियों में सात आठ ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिनके रोल नंबर सेम है। इस पर शक होने पर जब सॉफ्टवेयर में जांच की तो गई तो फर्जीवाड़ा का मामला पाया गया। इससे अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अफसर हैरत में पड़ गए। राज्य में सहायक अध्यापक पद की लिखित परीक्षा 21 जनवरी 2018 में हुई थी।
इसके बाद छह मई 2018 को कनिष्ठ सहायक डाटा इंट्री ऑपरेटर की लिखित परीक्षा हुई थी। इन सभी के फार्म अमरोहा उत्तर प्रदेश निवासी एक युवक के आइडी मेल पर भरे गए थे। हालांकि यूएस नगर के 22 ऐसे अभ्यर्थी थे,जिनमें कुछ डमी अभ्यर्थी थे। यानि दूसरे को पास कराने के लिए फार्म भरकर परीक्षा दी थी। इन अभ्यर्थियों के परीक्षा केंद्र अलग-अलग पड़े थे, मगर जब मुन्ना भाई ने दूसरे को पास कराने के लिए ओएमआर शीट के उपर अंकों में उसके रोल नंबर और गोले में रोल नंबर भर दिए। पास कराने का ठेका देने वाले अभ्यर्थी ने अपने ही रोल नंबर भर दिए।
जब ओएमआर शीट की सॉफ्टवेयर में जांच की तो पता चला कि सात-आठ ऐसे अभ्यर्थी हैं, जो सेम है,जबकि कुछ खुद ही अभ्यर्थी है। खास बात यह है कि इसमें एक महिला भी शामिल है। एक ही ईमेल से फार्म भरने व रोल नंबर में समानता होने पर पकड़ में मामला आया। सूत्र के मुताबिक एक ऐसा गिरोह है, जो अभ्यर्थियों को पास कराने का ठेका लिया है और दूसरे को परीक्षा में बैठाया है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिकारी राजन नैथानी ने बताया कि कोई गिरोह है, जो इस तरह का काम कर रहा है। मामले की जांच की जा रही है। रोल नंबर में समानता होने पर ही मामला पकड़ में आया है।