तालिबान ने एक ईरानी फर्म के साथ 350,000 टन तेल खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, यह डील ऐसे समय में हुआ है जब अफगानिस्तान में पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही हैं। तालिबान के वित्त मंत्रालय का हवाला देते हुए मीडिया ने यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा कि ईरान की यात्रा पर आए अफगान प्रतिनिधिमंडल ने एक ईरानी फर्म के साथ 350,000 टन तेल खरीदने का अनुबंध किया है।
अफगान प्रतिनिधिमंडल में तालिबान के वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, सेंट्रल बैंक, अफगानिस्तान ऑयल एंड गैस कॉरपोरेशन और अफगानिस्तान नेशनल स्टैंडर्ड अथॉरिटी के उच्च अधिकारी शामिल थे।
ईरान की अपनी यात्रा के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने तेल खरीद, दरों और अफगानिस्तान में पेट्रोलियम उत्पादों के पर चर्चा की। खामा प्रेस ने बताया कि एक ईरानी कंपनी ने 350,000 टन तेल खरीदने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार और अफगान तक पहुंचाने को सुविधाजनक बनाने, ऊर्जा आयात के लिए गैस पाइपलाइन स्थापित करने और रिफाइनरियों के निर्माण के तरीकों का प्रस्ताव करने के लिए एक संयुक्त समिति स्थापित करने पर भी सहमति व्यक्त की।
गुणवत्ता, दरों, पारगमन और व्यापार सुविधाओं पर चर्चा की गई। गैस पाइपलाइन के निर्माण और संयुक्त रिफाइनरियों के निर्माण के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया गया है। मंत्रालय के अनुसार, आयात सौदा अफगानिस्तान में ईंधन की कीमतों को विनियमित करने और उन्हें कम करने के लिए भी है।
इससे पहले भी, कार्यवाहक अफगान विदेश मंत्री ने जनवरी में तेहरान की अपनी यात्रा के बाद कहा था कि ईरान अफगानिस्तान को तेल और गैस के शिपमेंट की अनुमति देगा।
समाचार एजेंसी के अनुसार एक साक्षात्कार में आमिर खान मुत्ताकी ने कहा, ‘वास्तव में, अफगानिस्तान को अधिक तेल और गैस की आवश्यकता है, इसलिए हमने ईरान के साथ बैठकें कीं और ईरानी अधिकारियों ने हमें बताया कि अगर हम ईरान के माध्यम से अन्य देशों से आयात करना चाहते हैं, तो ईरान अपने क्षेत्र से पारगमन की अनुमति देने के लिए तैयार है।’
मुत्ताकी ने ईरानी अधिकारियों के साथ दो दिनों की बैठकों को अच्छा और अफगान-ईरानी संबंधों की स्थिति को संतोषजनक बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि ईंधन आपूर्ति पर ईरान के साथ और बैठकें की जाएंगी।
बता दें कि यूक्रेन में युद्ध के कारण मुद्रास्फीति कई देशों के लिए चिंता का प्रमुख कारण बन गई है। अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण ने देश में लगातार अशांति और गंभीर खाद्य संकट पैदा कर दिया है, जिसमें नवीनतम खाद्य और तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में उभर रहा है।