ईरान ने परमाणु समझौते के उल्लंघन को लेकर अमेरिका को चेतावनी दी है। ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख अली अकबर सालेही ने 2015 में ईरान और वैश्विक शक्तियों के बीच हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते को कमजोर करने के लिए कोई भी कदम उठाने के खिलाफ अमेरिका को चेताया है।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने सालेही के हवाले से बताया, अगर अमेरिका इस समझौते से पीछे हटने का फैसला करता है तो ऐसी स्थिति में ईरान चार दिनों में ही 20 फीसद समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन करने में समक्ष होगा। उन्होंने कहा, ‘ईरान ने अमेरिका द्वारा संभवतः परमाणु समझौते को छोड़ने के लिए उपयुक्त प्रतिक्रियाओं पर विचार किया है। हमें उम्मीद है कि अमेरिका इस समझौते से पीछे नहीं हटेगा। क्योंकि यह एक वैज्ञानिक चुनौती होगी।’
गुरुवार को सालेही ने अमेरिका को 2015 के ईरान परमाणु समझौते के खिलाफ और कोई कदम नहीं उठाने को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘हम अपने राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता की रक्षा के लिए गंभीर है, लेकिन अगर अमेरिका और यूरोप या अन्य कोई वैश्विक शक्ति इस समझौते से पीछे हटते हैं तो हम कुछ अलग जरूर करेंगे।’ सालेही ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ऐसा कारोबारी बताया है, जो अप्रत्याशित फैसलों से अपने अंतरराष्ट्रीय एजेंडे को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
2015 में हुआ था परमाणु समझौता
बता दें कि ईरान, जर्मनी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों – ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के बीच जुलाई 2015 में जेसीपीओए समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत ईरान आर्थिक मदद और खुद पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने की एवज में अपने परमाणु हथियार कार्यक्रमों को रोकने पर सहमत हुआ था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अक्टूबर 2017 में इस समझौते को रद करने का आह्वान किया था और ईरान पर समझौते का कई बार उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। हालांकि ईरान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। ईरान ने साफ किया है कि वह समझौते में कोई परिवर्तन स्वीकार नहीं करेगा।