ऐसा लगता है कि इस साल महंगा प्याज जनता के आंसू नहीं निकालेगा. आलू, टमाटर और प्याज की अच्छी पैदावार होने से इस साल सब्जियों का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है. हालांकि, फलों का उत्पादन घट सकता है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अनुमान से यह जानकारी मिली है.
फसल वर्ष 2019-20 के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में इस साल बागवानी फसलों का कुल उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 0.84 फीसदी बढ़ सकता है.
मंत्रालय ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि सब्जियों, सुगंधित व औषधीय उत्पादों का उत्पादन बढ़ सकता है जबकि फलों का उत्पादन घटने की उम्मीद है.
सब्जियों का उत्पादन पिछले साल से 2.64 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. पिछले साल जहां सब्जियों का कुल रकबा 100.73 लाख हेक्टेयर था वहीं, इस साल बढ़कर 102.92 लाख हेक्टेयर हो सकता है. रकबा बढ़ने से सब्जियों का कुल उत्पादन पिछले साल के 18.32 करोड़ टन से बढ़कर 18.80 करोड़ टन होने की उम्मीद की जा रही है.
आलू का उत्पादन पिछले साल के 501.9 लाख टन के मुकाबले 3.49 फीसदी बढ़कर 519.4 लाख टन होने का अनुमान है. गौरतलब है कि दिसंबर 2019 में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.35 फीसदी हो गई थी.
प्याज, टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में इजाफा होने के कारण दिसंबर में खुदरा महंगाई दर ये उछाल देखने को मिला है. इसके अलावा पेट्रोल-डीजल के दामों में भी बढ़ोतरी से खुदरा महंगाई दर बढ़ी है.
पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, देश में इस साल 244.5 लाख टन प्याज का उत्पादन हो सकता है, जोकि पिछले साल 2018-19 के 228.2 लाख टन के मुकाबले 7.17 फीसदी अधिक है. देश में टमाटर का उत्पादन इस साल 193.3 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 190.01 लाख टन से 1.68 फीसदी अधिक है.
वहीं, फलों का कुल रकबा हालांकि 2019-20 के 65.97 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2019-20 में 66.60 लाख हेक्टेयर रहने का आकलन किया गया है, लेकिन फलों का उत्पादन 2018-19 में जहां 9.79 करोड़ टन था वहीं 2019-20 में घटकर 9.57 करोड़ टन रहने का अनुमान है. इस प्रकार फलों का उत्पादन 2.27 फीसदी घट सकता है. फलों में मुख्य रूप से अंगूर, केला, आम, नीबू संतरा जैसे फल, पपीता और अनार का उत्पादन घटने का अनुमान है.
मसालों का कुल रकबा पिछले साल के 254.30 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 256.11 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, और उत्पादन भी पिछले साल के 31.07 करोड़ टन से बढ़कर 31.33 करोड़ टन रहने की उम्मीद है.