वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को बजट पेश करने वाले हैं. संसद में इसे पेश करने से पहले काफी ज्यादा गोपनीयता बरती जाती है, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. बजट को सीक्रेट रखने की शुरुआत उस एक घटना से हुई थी, जिसके बाद ब्रिटेन के लेबर चांसलर को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी.
बजट को सीक्रेट रखने की शुरुआत भारत से नहीं, बल्कि ब्रिटेन से हुई थी. जिस घटना के बारे में हम आपको बता रहे हैं, उससे पहले बजट को सीक्रेट रखने के लिए अलग से इंतजाम नहीं किए जाते थे. लेकिन जैसे ही यह घटना हुई, इसके लिए कड़े इंतजाम किए जाने शुरू किए गए.
1947 में ब्रिटेन की संसद में बजट पेश किया जाना था. तत्कालीन लेबर चांसलर एडवर्ड डेल्टन बजट पेश करने की तैयारियों में जुटे हुए थे. इसी दौरान उनसे मिलने एक पत्रकार आया. उसने यूं ही अनौपचारिक बातचीत में उनसे बजट में टैक्स प्रस्ताव के बारे में पूछ लिया.
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक डेल्टन ने भी पत्रकार को बजट में किए जा रहे टैक्स प्रस्तावों के बारे में जानकारी दे दी. बजट दूसरे दिन सुबह 11 बजे पेश होना था, लेकिन इससे पहले ही इविनंग न्यूजपेपर में पत्रकार ने टैक्स प्रस्ताव की खबर लीक कर दी.
इस खबर के अखबार में छपने के बाद सरकार में हड़कंप मच गया. डेल्टन को भी अपनी गलती का अहससा हुआ और उन्होंने अपने पद को छोड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया.
डेल्टन ने अपना इस्तीफा ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली को सौंप दिया था. हालांकि उनके इस्तीफे को फिलहाल स्वीकार नहीं किया गया था.
इसी दौरान तत्कालीन मुख्य विपक्षी नेता विंस्टन चर्चिल भी डेल्टन के बचाव में आए. उन्होंने उनकी आलोचना करते वक्त नरम रुख अपनाया था. हालांकि इसके बाद भी डेल्टन ने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया.
डेल्टन को इस घटना से काफी बड़ा झटका लगा था. इसलिए उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया और आखिर में तत्कालीन पीएम एटली ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर दिया. गार्जियन के मुताबिक एटली एक ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो सार्वजनिक कार्यक्रमों में कम शिरकत करते थे और प्रेस से दूर रहना पसंद करते थे.
इस घटना के बाद ब्रिटेन की सरकार ने बजट को गोपनीय रखने के लिए जरूरी इंतजाम करने शुरू कर दिए. ऐसे नियम व इंतजाम तैयार किए गए, जिनके तहत बजट को सीक्रेट रखने का पुख्ता इंतजाम किया गया.
तब से बजट को हमेशा सीक्रेट रखा जाता है. इसे सीधे संसद में पेश किए जाने के बाद ही इसकी जानकरी सार्वजनिक स्तर पर बांटी जाती है. भारत में भी बजट को सीक्रेट रखने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं.