गंगा फिर उफान पर हैं। अबकी रफ्तार भी तेज है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 24 घंटे में जलस्तर में 177 सेमी वृद्धि हुई है। गंगा में तेज बढ़ाव से तटवर्ती इलाके लोग चिंतित हैं। दशाश्वमेध घाट पर दैनिक गंगा आरती एक बार फिर छत पर की गई। जबकि तीन दिन पहले ही आरती पुराने स्थल पर शुरू हुई थी।

केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक गंगा के जलस्तर में 14 सेमी प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़त दर्ज की गई है। आयोग के मुताबिक रविवार की रात तक जलस्तर स्थिर हो गया था। सोमवार की सुबह 8 बजे फिर एक सेमी प्रतिघंटे की रफ्तार से बढ़ाव शुरू हुआ। शाम को छह सेमी और मंगलवार सुबह बढ़ाव की रफ्तार 12 सेमी प्रति घंटे पहुंच गई। दोपहर 12 बजे के बाद से यह 14 सेमी प्रतिघंटे दर्ज की जाने लगी।
संचालक नावों को एक बार फिर ऊपर सुरक्षित स्थान पर बांधने लगे। गंगा में तेज बढ़ाव को देख जिला प्रशासन ने जहां ढाब इलाकों के लोगों को सतर्क कर दिया है। वहीं, राजस्व अधिकारियों को बाढ़ चौकियों को सक्रिय करने का निर्देश दिया है। जल पुलिस व एनडीआरएफ की टीम ने शाम ढलने से पूर्व नाव संचालकों को किनारे सुरक्षित स्थानों पर जाने की सूचना प्रसारित की। आयोग के मुताबिक जलस्तरर 65.62 मीटर पर पहुंचा गया है। हालांकि वर्तमान जलस्तर चेतावनी व खतरे के बिंदु से काफी नीचे हैं। खतरा बिंदु 71.262 मीटर और चेतावनी बिंदु 70.262 पर है।
उत्तराखंड और यमुना का पानी बाढ़ का कारण
जल आयोग के मुताबिक उत्तराखंड में भारी बारिश हुई। वहीं पिछले दिनों बादल फटने से ऊपर इलाकों से तेजी से गंगा में पानी आया। वहीं, एमपी की छोटी-छोटी नदियों के जरिए यमुना में पानी बढ़ गया है। यमुना का पानी गंगा में मिलने से जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
2019 में बढ़ोतरी की यही स्थिति थी
जानकारों की मानें तो मंगलवार को गंगा में बढ़ाव की जो स्थिति है, उससे निश्चित ही 2019 में आई बाढ़ के हालात पैदा हो सकते हैं। उस समय भी अगस्त अंत में गंगा में बढ़ोतरी शुरू हुई थी। तब भी ऊपरी इलाकों का पानी आने से तटवर्ती इलाकों में हायतौबा मची थी। तब गंगा में बढ़ाव की रफ्तार 25 सेमी प्रतिघंटे तक पहुंच गई थी।
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