इस राज्य ने चार साल पहले ही पूरा किया FPO बनाने का लक्ष्य, ऐसे मिलेगी 15 लाख रुपये की सहायता

हरियाणा सरकार ने खेती को आगे बढ़ाने और किसानों को समृद्ध करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए एक विशेष टारगेट को पूरा कर लिया है. हम बात कर रहे हैं किसान उत्‍पादक संगठन यानी एफपीओ की. साल 2024 तक देश भर में करीब 10 हजार एफपीओ बनाए जाने हैं. जिसमें मनोहरलाल सरकार ने इसी साल अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है. यहां पर 500 एफपीओ बनाने का निर्धारित टारगेट लगभग पूरा कर लिया गया है. बता दें कि केंद्र सरकार ने अच्छे रेटिंग वाले प्रत्येक एफपीओ को तीन साल में 15-15 लाख रुपये की मदद देने का एलान किया है.

प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि एफपीओ एक ऐसी व्यवस्था है जो किसानों से फल, सब्जी, फूल, मछली व बागवानी से संबंधित फसलों को खरीदकर सीधे कंपनियों को बेचा जाता है. इसमें किसान (Farmer) जुड़े होते हैं और उन्हें अधिक आय प्राप्त होती है. इन एफपीओ से अब तक प्रदेश के लगभग 80,000 किसान जुडकऱ लाभ प्राप्त कर रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा एफपीओ का ग्रेडेशन करने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है. अब शानदार कार्य करने वाले एफपीओ को स्टार रेटिंग भी दी जाएगी. प्रदेश के 90 एफपीओ ऐसे हैं जिन्होंने अपने कार्यालय भी स्थापित कर लिए हैं.

 प्रत्येक एफपीओ के लिए 15-15 लाख रुपये की मदद का है प्रावधानक्या होता है एफपीओ (What is FPO)
एफपीओ यानी किसानी उत्पादक संगठन (कृषक उत्पादक कंपनी) किसानों का एक समूह होगा, जो कृषि उत्पादन कार्य में लगा हो और कृषि से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां चलाएगा. एक समूह बनाकर आप कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड करवा सकते हैं.

आम किसानों को कैसे होगा सीधा फायदा

एफपीओ लघु व सीमांत किसानों का एक समूह होगा. जिससे उससे जुड़े किसानों को न सिर्फ अपनी उपज का बाजार मिलेगा बल्कि खाद, बीज, दवाइयों और कृषि उपकरण आदि खरीदना आसान होगा. सेवाएं सस्ती मिलेंगी और बिचौलियों के मकड़जाल से मुक्ति मिलेगी. अगर अकेला किसान अपनी पैदावार बेचने जाता है, तो उसका मुनाफा बिचौलियों को मिलता है. एफपीओ सिस्टम में किसान को उसके उत्पाद के भाव अच्छे मिलते हैं, क्योंकि बारगेनिंग कलेक्टिव होगी.

15 लाख रुपये की मदद लेने की ये हैं शर्तें?

राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद ने बताया कि सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने एफपीओ बनाने के लिए जाने माने अर्थशास्त्री डॉ. वाईके अलघ के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी. इसके तहत कम से 11 किसान संगठित होकर अपनी एग्रीकल्चर कंपनी या संगठन बना सकते हैं.

>>अगर संगठन मैदानी क्षेत्र में काम कर रहा है तो कम से कम 300 किसान उससे जुड़े होने चाहिए. यानी एक बोर्ड मेंबर पर कम से कम 30 लोग सामान्य सदस्य हों. पहले 1000 था.

>>पहाड़ी क्षेत्र में एक कंपनी के साथ 100 किसानों का जुड़ना जरूरी है. उन्हें कंपनी का फायदा मिल रहा हो.

>> नाबार्ड कंस्ल्टेंसी सर्विसेज आपकी कंपनी का काम देखकर रेटिंग करेगी, उसके आधार पर ही ग्रांट मिलेगी.

>>बिजनेस प्लान देखा जाएगा कि कंपनी किस किसानों को फायदा दे पा रही है. वो किसानों के उत्पाद का मार्केट उपलब्ध करवा पा रही है या नहीं.

>>कंपनी का गवर्नेंस कैसा है. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कागजी हैं या वो काम कर रहे हैं. वो किसानों की बाजार में पहुंच आसान बनाने के लिए काम कर रहा है या नहीं.

>>अगर कोई कंपनी अपने से जुड़े किसानों की जरूरत की चीजें जैसे बीज, खाद और दवाईयों आदि की कलेक्टिव खरीद कर रही है तो उसकी रेटिंग अच्छी हो सकती है. क्योंकि ऐसा करने पर किसान को सस्ता सामान मिलेगा. 

हरियाणा में 80,000 किसान एफपीओ से जुड़ चुके हैं.

एफपीओ के लिए यहां से लें मदद

>>एफपीओ का गठन और बढ़ावा देने के लिए आप तीन संस्थाओं से मदद ले सकते हैं.

>>लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (Small Farmers’ Agri-Business Consortium).

>>राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agriculture and Rural Development).

>>राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) को भी इसकी जिम्मेदारी दे दी गई है. 

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