इस बार मकर संक्रांति पर अद्भुत संयोग बन रहा है। ऐसे में स्नान-दान करने से आपको दो गुना फल मिलेगा। लेकिन इसके बाद लिए सिर्फ तीन घंटे 55 मिनट का समय ही मिलेगा।

इस बार मकर संक्रांति का आगमन सवार्थ सिद्धि योग में आ रहा है। ज्योतिषों के मुताबिक ऐसा 6 साल बाद हो रहा है कि रविवार को ही मकर संक्रांति पड़ रही है। इसके साथ ही संक्रांति पर्व पर मूल नक्षत्र, सिंह लग्न और ध्रुव योग के संयोग शुभ फल प्रदान करने वाले हैं।
इस बार स्नान-दान और पूजन के लिए पुण्यकाल सिर्फ तीन घंटे 55 मिनट ही रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक पुण्य काल में किया गया स्नान-दान अधिक प्रभावकारी होता है। भगवान सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही स्नान-दान और पूजन का पर्व मकर संक्रांति इस साल सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रहा है। सूर्य के राशि बदलने की प्रक्रिया को संक्रांति कहा जाता है।
सूर्य अभी धनु राशि में है। 14 जनवरी को धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रांरभ होती है। इसलिए इस पर्व को उत्तरायणी भी कहा जाता है। भले ही 14 जनवरी को सुबह से ही पर्व काल प्रांरभ हो जाएगा। लेकिन पुण्य काल दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश के साथ शुरू होगा।
वहीं इस दिन सूर्य अस्त सांय 5 बजकर 40 मिनट पर होगा। इसके चलते श्रद्धालुओं को स्नान-दान के लिए पुण्यकाल 3 घंटे 55 मिनट की अवधि के लिए ही रहेगा। महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का दिन चुना था।
उत्तराखंड विद्वत परिषद के पूर्व अध्यक्ष पं. उदय शंकर भट्ट ने कहा कि, मान्यता है कि रविवार सूर्य का दिन होने से यह दिन खास हो जाएगा। साथ में इस दिन प्रदोष होने से रवि प्रदोष का भी संयोग बनेगा। लोग इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर ब्राह्मणों को कंबल, खिचड़ी आदि का दान करें।
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