इलेक्ट्रिक कार-बाइक के बाद बैटरी से उड़ेंगे विमान, पर्यावरण के लिए मुफ़ीद और सस्‍ता होगा सफर

हवाई सफर पर्यावरण के लिए मुफ़ीद हो इसके लिए दुनियाभर में कोशिशें जारी हैं। इस दिशा में कुछ दिन पूर्व भारत ने भी पहल की। देश में पहली बार एक विमान ने बायोफ़्यूल से उड़ान भरी। इस क्रम में इलेक्ट्रिक विमान की खोज काफी अहम मानी जा रही है। इलेक्ट्रिक बाइक और कार के बाद अब वैज्ञानिकाें ने इलेक्ट्रिक विमान को भी तैयार कर लिया है। आइए जानते हैं कि आखिर इलेक्ट्रिक विमान के संचालन में क्‍या हैं बड़ी चुनौतियां। इलेक्ट्रिक विमान बनाने में जुटी कंपनियाें की क्‍या है योजना। इसके कई अनछुए पहलुओं को पेश करती ये रिपोर्ट।

जी हां, यूरोपीय देश नॉर्वे में दुनिया का पहला इलेक्ट्रिक विमान उड़ाया गया है। कुछ दिन पूर्व स्लोविक-ओस्लेन और नॉर्वे की एयरपोर्ट कंपनी एविनॉर के प्रमुख डाग फ़ॉक-पीटरसन ने नॉर्वे में एक छोटी-सी उड़ान भरी थी। ये बहुत ही ख़ास फ़्लाइट थी, इस विमान को स्लोवेनिया की कंपनी पिपिस्ट्रेल ने बनाया था। इस विमान का नाम अल्फ़ा इलेक्ट्रो जी-2 था। इस फ़्लाइट ने नॉर्वे की राजधानी ओस्लो के कुछ चक्कर लगाए।

इलेक्ट्रिक विमान बनाने में जुटी कंपनियां

हालांकि, यह सच है कि अभी तक दुनिया में ऐसा कोई यात्री विमान नहीं है, जो कमर्शियल उड़ानों के लिए मुफ़ीद हो। लेकिन इसके लिए वैज्ञानिकाें की पहल जारी है। दुनिया में कई कंपनियां इलेक्ट्रिक विमान बना रही हैं। लेकिन वे सभी छोटे विमानों का खाका तैयार कर रही हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक विमान कंपनियां इलेक्ट्रिक विमान की अवधारणा को दूर की कौड़ी मानती थीं, लेकिन अब उनके विचार में बदलाव आया है और अब वे इसे संभव मानतीं हैं।

इलेक्ट्रिक विमान बनाने के 100 से ज़्यादा प्रोजेक्ट
इस वक़्त दुनियाभर में इलेक्ट्रिक विमान बनाने को लेकर होड़ मची है। इस मामले में 100 से ज़्यादा प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है। दुनिया की दो बड़ी कंपनियां एयरबस और बोइंग इलेक्ट्रिक विमानों को विकसित करने में जुटी हैं। बोइंग ने इसके लिए ज़ुनुम एरो नाम की एक नई कंपनी बनाई है, जो नासा के साथ संयुक्‍त रूप से इस मिशन पर काम कर रही है। नॉर्वे की स्लोवेनिया की पिपिस्ट्रेल भी इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। कंपनी का दावा है कि जल्‍द ही फ़ोर-सीटर विमान बना लेंगे। कंपनी का यह भी दावा है कि टॉरस जी-4 दुनिया का पहला इलेक्ट्रिक फ़ोर सीटर विमान होगा।

हाइब्रिड ईंधन से उड़ेंगे विमान

स्लोवेनिया की पिपिस्ट्रेल का दावा है कि वह हाइब्रिड ईंधन से चलने वाले विमान भी बनाए हैं। कंपनी का दावा है कि वर्ष 2019 तक ये विमान उड़ान के लिए तैयार हो जाएंगे। कंपनी का मानना है कि उसके विमान प्रशिक्षण के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकते हैं। कंपनी का यह भी दावा है कि वर्ष 2025 तक 19 मुसाफ़िरों को ले जा सकने वाला फ़्यूल सेल विमान भी बनाने पर काम कर रहे हैं। ज़ुनुम एरो का कहना है कि वह प्रारंभ में कम दूरी की उड़ान के लिए 12 सीटों वाला विमान विकसित कर रही है। उम्‍मीद की जा रही है कि वर्ष 2022 तक ये विमान उड़ान भर सकता है। इसके बाद कंपनी 50 सीटों वाला बैटरी चालित विमान बनाएगी जो एक हज़ार मील तक उड़ान भर सकेगा। कंपनी का दावा है कि वर्ष 2020 के दशक के आख़िर तक 100 सीटों वाला इलेक्ट्रिक विमान विकसित कर लेगी।

आखिर क्‍या है चुनौती 
1- लंबी दूरी की उड़ान भरने के लिए विमानों को ज्‍यादा ईंधन की जरूरत होती है, ऐसे में विमानों की ईंधन की ज़रूरत बैटरी के ज़रिए पूरी करना चुनौती भरा काम है।
2- विमान में यात्रियों के साथ उनके सामान और इसके बाद भारी भरकम बैटरी को उठाने को लेकर भी एक बड़ी चुनौती होगी।
3- विमान कंपनियों के समक्ष इलेक्ट्रिक विमानों के लिए बुनियादी ढांचे को विकसित करने की एक बड़ी चुनौती है।
4- विमान कंपनियों को हवाई अड्डों पर रिचार्जिंग की सुविधा भी मुहैया करानी होगी। विमानों की बैटरी चार्ज करने का इंतज़ाम बेहद खर्चीला है।

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