इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने लॉकडाउन में अनूठी पहल की है। विश्वविद्यालय ने अपने 34 हजार ‘लाडले’ खोज लिए हैं। हैरान मत हों, यह बिल्कुल सही है। अब देखिए न, इसी कोरोना काल में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक अनोखे परिवार ने जन्म लिया। 20 दिन में सोशल मीडिया पर इस परिवार ने अपने करीब 34 हजार संतानों को खोज लिया। इस परिवार की संतानें देेश-विदेश में प्रशासनिक सेवाओं से लेकर न्यायिक, शिक्षा और उद्योग जगत के अलावा तमाम अलग-अलग क्षेत्रों में शीर्षस्थ पदों पर सुशोभित हैं।
‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिवार’ की नींव छात्र कौस्तुभ त्रिपाठी ने रखी
तमाम लोग लॉकडाउन और अब अनलॉक के दिन ही गिनने में लगे रहे लेकिन जिन्हें कुछ करना था वह घर में भी बैठकर नया सोचते और करते रहे। 26 मई को इस ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिवार’ की नींव रखने वाले इविवि में एलएलबी तृतीय वर्ष के छात्र कौस्तुभ त्रिपाठी ने बताया कि लॉकडाउन में सब कुछ बंद था। एक दिन ख्याल आया कि ‘इविवि परिवार’ के नाम से फेसबुक पर एक पेज बनाया जाए। विधि का छात्र होने के नाते गाइडलाइन भी तैयार की। परिवार खड़ा करने को लेकर कहते हैं कि इससे नव प्रवेशियों को इविवि के गौरवशाली अतीत के बारे में भी जानकारी हो सकेगी। साथ ही परिवार के पुरा छात्रों का मार्गदर्शन भी मिल सकेगा।
परिवार से जुड़े सदस्यों से अपील
बकौल कौस्तुभ, परिवार से जुड़े सदस्यों से अपील की गई है कि वह अपने बैच का जिक्र, दोस्ती की कहानी, एक छायाचित्र और वर्तमान जिंदगानी साझा करें। परिचय का यह सिलसिला कभी खत्म नहीं होगा। क्योंकि, हम जितनी शाखाएं हैं, उतने ही वृक्ष और हर वृक्ष में फिर उतनी शाखाएं। यही वजह है कि यह परिवार समुद्र से भी विशाल और अनंत से आगे रहेगा।
ग्रुप में 22 एडमिन और 80 मॉडरेटर
‘इविवि परिवार’ में सभी अपना परिचय देते हुए संघर्षों की कहानी और इविवि में बिताए पल को साझा कर रहे हैं। यह भी जानकारी दे रहे हैैं कि वर्तमान में वह क्या कर रहे हैं। पेज से जुडऩे वालों की तादाद रोज बढ़ रही है। वर्तमान में 22 ग्रुप एडमिन और 80 मॉडरेटर हैं। इस पेज के संचालन में इविवि के छात्र शैलजाकांत त्रिपाठी, अभिषेक मिश्र, रुचि मौर्य, नवीन पाठक, आशुतोष पांडेय, गजेंद्र यादव, अभिषेक सिंह और हिमांशु त्रिपाठी का अहम योगदान है।