पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा कि भारत और पाक के बीच संघर्ष दो परमाणु सशस्त्र देशों तक सीमित नहीं रहेगा। इसका खामियाजा पूरे क्षेत्र को भुगतना पड़ सकता है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को खत्म करने के भारत सरकार के ऐतिहासिक फैसले के बाद से पाकिस्तान इस मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिशों में जुटा है। हालांकि अभी तक उसे इस मुद्दे पर निराशा ही हाथ लगी है।

रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक वीडियो लिंक से ह्यूस्टन में इस्लामिक सोसायटी ऑफ नार्थ अमेरिका को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि उन्होंने यह बात विश्व नेताओं के साथ बातचीत के दौरान उठाई है। वीडियो में खान ने यह भी कहा कि भारत जम्मू-कश्मीर में हो रहे मानवाधिकार के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान पर हमला भी कर सकता है।
हालांकि उन्होंने दोहराया कि अगर भारत ने उनके खिलाफ कोई आक्रामकता दिखाई तो इसका जवाब दिया जाएगा। इमरान ने कहा कि भारत की वर्तमान सरकार आरएसएस की कट्टर समर्थक होने के साथ ही हिंदू वर्चस्व से उत्पन्न एक विचारधारा है। पाकिस्तान ने अबू धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जार्डन के बादशाह अब्दुल्ला द्वितीय सहित विश्व के विभिन्न नेताओं से इस मुद्दे पर उनके हस्तक्षेप की मांग की है।
पाक ने बातचीत के लिए कश्मीर से प्रतिबंध हटाने की शर्त रखी
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि जब तक कश्मीर से प्रतिबंध नहीं हटता है तब तक भारत के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। उर्दू को दिए साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा कि उनकी सरकार भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत के साथ ही किसी तीसरे पक्ष द्वारा मध्यस्थता का स्वागत करेगी। हालांकि कुरैशी ने कहा कि वर्तमान माहौल भारत के साथ बातचीत के लिए अनुकूल नहीं है। युद्ध की बात से इन्कार करते हुए विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान ने कभी भी आक्रामक नीति नहीं अपनाई और हमेशा शांति को प्राथमिकता दी है।
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