इमरजेंसी की ‘बरसी’ पर शाह का कांग्रेस पर वार, कहा-ऐसे नेता जो एक वंश के नहीं, बोल क्‍यों नहीं..

देश के इतिहास में 25 जून की तारीख एक विवादास्‍पद फैसले के लिए याद की जाती है. तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को ही देश में आपातकाल (Imposition of the Emergency) लागू किया था, इसके तहत सरकार का विरोध करने वाले तमाम नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया था और सख्‍त कानून लागू करते हुए आम लोगों के अधिकार का सीमित किया गया था. आपातकाल यानी इमरजेंसी को स्‍वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे विवादास्‍पद और गैर लोकत्रांतिक फैसला माना जाता है और तत्‍कालीन पीएम इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को इसकी कीमत बाद में लोकसभा चुनाव में मिली हार के साथ चुकानी पड़ी थी.

तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी. इमरजेंसी को आज 45 साल हो गए. इस मौके पर बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई ट्वीट कर कांग्रेस पार्टी (Congress) पर निशाना साधा है.

अमित शाह (Amit Shah) ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘इस दिन, 45 साल पहले सत्ता की खातिर एक परिवार के लालच ने आपातकाल लागू कर दिया. रातों रात देश को जेल में तब्‍दील कर दिया गया गया. प्रेस, अदालतें, भाषण … सब खत्म हो गए. गरीबों और दलितों पर अत्याचार किए गए.’ एक अन्‍य ट्वीट में शाह ने कहा- लाखों लोगों के प्रयासों के कारण, आपातकाल हटा लिया गया था. भारत में लोकतंत्र बहाल हो गया था लेकिन यह कांग्रेस में गैरमौजूद रहा. परिवार के हित, पार्टीऔर राष्ट्रीय हितों पर हावी थे. यह खेदजनक स्थिति आज की कांग्रेस में भी पनपती है!”

शाह यही नहीं रुके, उन्‍होंने दो और ट्वीट कर लिखा- CWC की हालिया बैठक के दौरान, वरिष्ठ सदस्यों और छोटे सदस्यों ने कुछ मुद्दों को उठाया. लेकिन उनका मुंह बंद कर दिया गया. पार्टी के एक प्रवक्ता को बिना सोचे समझे बर्खास्त कर दिया गया. दुखद सच्चाई यह है कि कांग्रेस में नेता घुटन महसूस कर रहे हैं.” अपने एक अन्‍य ट्वीट में शाह लिखते हैं, ”आपातकाल की मानसिकता आखिर क्यों रहती है? ऐसे नेता जो एक वंश के नहीं हैं, बोलने में असमर्थ क्यों हैं? कांग्रेस में नेता क्यों निराश हो रहे हैं?”

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