आज देश के तमाम उन लोगों के लिए एक तरह से ऐतिहासिक दिन है जो लम्बे समय से किसी न किसी तरह की बीमारी से पीड़ित है, और खुद के लिए मौत की गुहार लगाते हुए फिर रहे है. आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में उन सबको एक तरह से मुक्ति दी है, जो लोग ज़िंदगी से लड़ते हुए थक गए है, लेकिन मुंबई के नारायण लावटे (87) और उनकी पत्नी इरावती (78) सुप्रीम कोर्ट की इस सुनवाई से खुश नहीं है.
दंपत्ति दक्षिणी मुंबई के चारणी रोड स्थित ठाकुरद्वार में रहते है. इस दम्पत्ति ने काफी समय पहले कोर्ट में इच्छामृत्यु के लिए आवेदन किया था, लेकिन आज कोर्ट के आए फैसले से यह दम्पत्ति खुश नहीं है. जिसकी वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार, ऐसे लोग जो किसी तरह की ऐसी बीमारी से ग्रसित है जिसका इलाज पुरे विश्व में सम्भव नहीं है. मुंबई में रहने वाली इस दम्पत्ति की कोई औलाद नहीं है, साथ ही यह अपनी ज़िंदगी से ऊब चुके है.
दम्पत्ति के अनुसार उनके पास अब करने के लिए कुछ नहीं है, ज़िंदगी में अब कोई लक्ष्य नहीं है ऐसे में अगर बाद में हम किसी गंभीर समस्या में उलझे उससे पहले ही हमे इच्छामृत्यु दी जाए. 21 दिसंबर को उन्होंने अपने बुढ़ापे का कोई सहारा न होने का हवाला देते हुए अपना जीवन खत्म करने की आज्ञा के लिए एक पत्र लिखा था. उन्होंने राष्ट्रपति को भेजे पत्र में लिखा था कि वे 31 मार्च 2018 तक उनके जवाब का इंतजार करेंगे, लेकिन दो महीने बीतने के बाद उन्हें इस बात का यकीन है कि उनकी याचिका को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, इसलिए अब उन्होंने आत्महत्या की योजना बनाई है.
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