अनगिनत भावनाओं को अपने अंदर समेटे रखने वाला इंसान रोबोट से भी भावनात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है। यह बात चौंकाने वाली जरूर लगती है, लेकिन सच है। वैज्ञानिक एक प्रयोग के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। उनका कहना है कि हमारे भीतर मानव सदृश मशीनों से प्रभावित होने की गहरी प्रवृत्ति होती है।
इस बात को जानने के लिए जर्मनी की डुइसबर्ग-एसेन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग किया। उन्होंने 89 वालंटियर्स का चुनाव किया और उन्हें रोबोट को और होशियार बनने में उनकी मदद करने के लिए उनसे बातचीत करने को कहा। बातचीत के बाद वालंटियर्स से कहा गया कि वे रोबोट को बंद कर दें।
वैज्ञानिकों ने रोबोट इस तरह तैयार किए थे कि जब वालंटियर्स उन्हें बंद करने लगें तो वे ऐसा न करने का आग्रह करेंगे। रोबोट ने न केवल बातचीत के जरिये, बल्कि अपने शारीरिक हाव-भाव से भी खुद को बंद न करने की गुजारिश की।
यह आया सामने
शोधकर्ताओं ने देखा कि कुछ वालंटियर्स ने उनकी बात आराम से मान ली और अपने रोबोट को बंद कर दिया, जबकि 43 वालंटियर्स इस पसोपेश में दिखे कि वे शोधकर्ताओं की बात मानें या रोबोट की। वहीं, 13 वालंटियर्स ने तो रोबोट की बात मानते हुए उन्हें बंद करने से इन्कार कर दिया। इसके अलावा शेष वालंटियर्स ने रोबोट को बंद करने में बहुत अधिक समय लिया।