इंदौर-2 सीट को भाजपा ने बना लिया अभेद्य किला

इंदौर का विधानसभा क्षेत्र क्रमांक दो ऐसा क्षेत्र है, जो कभी मिल मजदूर संघों के नेताओं का निर्वाचन क्षेत्र रहा करता था। धीरे-धीरे कपड़ा मिलें तो नहीं रहीं, पर यह क्षेत्र अब भाजपा के ऐसे अभेद्य किले के रूप में हो गया है, जिसे कांग्रेस को तोड़ पाना बहुत मुश्किल कार्य हो गया है।

मध्यभारत के समय से कायम रही यह सीट जो कभी अंग्रेजी अक्षरों के नाम से या इंदौर पूर्व के नाम से जानी जाती रही है। अब यह विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 के नाम से पहचानी जाने लगी है। 1952 के चुनाव में यहां से वीवी द्रविड़ साहब विजयी रहे थे। मध्य प्रदेश निर्माण के बाद पहले चुनाव 1957 में हुए थे। 1957 का चुनाव इस क्षेत्र में बेहद ही रोचक हो गया था, कांग्रेस से गंगाराम तिवारी मजदूर, कांग्रेस के कद्दावर नेता थे तो दूसरी और मिल मजदूर नेता, प्रखर वक्ता युवा होमी दाजी निर्दलीय मैदान में थे। होमी दाजी की चुनावी सभाएं, जो नुकड्डों पर हुई करती थी उनमें काफी भीड़ हुआ करती थी। आखिर दाजी ने गंगाराम तिवारी को रोमांचक मुकाबले में पराजित कर दिया था।

1962 में कांग्रेस से गंगाराम तिवारी पुनः मैदान में थे तो उनका मुकाबला पूर्व महापौर जो नागरिक समिति से चुने गए थे, प्रभाकर अडसुले से था, वे भी निर्दलीय मैदान में थे और तिवारी से 453 मतों से पराजित हो गए थे। 1967 में गंगाराम तिवारी ने निर्दलीय हरिसिंह माधोसिंह को पराजित किया था। इस तरह तीन चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे या निकटतम उम्मीदवार रहे हैं। 1967 में भारतीय जनसंघ के एम चंदवासकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

1972 में होमी दाजी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से मैदान में थे। उन्होंने जनसंघ के मधुकर चंदवासकर को 33,726 मतों से पराजित कर ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। 1977 में जब देश में जनता पार्टी की लहर थी, उस वक्त यहां से कांग्रेस के यज्ञदत शर्मा विजयी रहे थे। उन्होंने जनता पार्टी के हरिसिंह को हराया था। 1972 में यहां से भाकपा और माकपा से अनंत लागू और राम गोयल उम्मीदवार थे। एक निर्दलीय फूंदीलाल जाट भी मैदान में थे।

1980 में कांग्रेस के कन्हैयालाल यादव ने होमी दाजी को पराजित किया और भाजपा से भंवरसिंह शेखावत तीसरे स्थान पर रहे थे। 1985 में यादव ने भाजपा के प्रमुख नेता विष्णु प्रसाद शुक्ला बड़े भैय्या को पराजित कर दिया था। 1985 में इस क्षेत्र से पहली महिला हरिइच्छा बाई निर्दलीय मैदान में थीं। सीपीआई के अर्जुन सिंह हाडा ने 11,596 मत प्राप्त कर एक रिकॉर्ड बनाया था। ये मत विष्णु प्रसाद शुक्ला की विजय में बाधा बने थे।

1990 का चुनाव आज भी मिल क्षेत्र में लोगों को याद है। सुरेश सेठ जो कांग्रेस के उम्मीदवार थे, के सामने भाजपा के विष्णुप्रसाद शुक्ला मैदान में थे। सेठ ने बिलकुल सामान्य तरीके और बगैर ताम-झाम के चुनाव लड़ा उसके विपरीत शुक्ला के समर्थन में क्षेत्रों में बैनर झंडे से हर क्षेत्र भरा पड़ा था, परिणाम जब आया तो कई राजनैतिक पंडितों के सारे अनुमान गलत साबित हुए और कांग्रेस के सुरेश सेठ विजयी रहे थे।

1993 से भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रभाव कायम किया, जिसे कांग्रेस पिछले 30 वर्ष में भेद नहीं पाई है, कांग्रेस के अपने सभी प्रमुख उम्मीदवारों को यहां भेज चुनाव लड़ा लिया है पर निराशा ही हाथ लगी है। यहां से तीन बार कैलाश विजयवर्गीय और पिछले तीन चुनावों में रमेश मेंदोला विजयी होते रहे हैं। रमेश मेंदोला ने इस क्षेत्र वे विजय का ऐतिहासिक रिकॉर्ड भी बनाया है, 1993 से 2023 तक भाजपा का यहां एक छात्र राज है। इस बार भी चुनाव में भाजपा से रमेश मेंदोला और कांग्रेस से चिंटू चौकसे मैदान में है। देखना है मतदाता किसे चुनते हैं।

मतदाता संख्या

कुल मतदाता3,48,806
पुरुष1,76,979
महिला1,71,818
थर्ड जेंडर9

नोटा प्रयोग: 2013 में नोटा 4919 और 2018 में 2451 ने नोटा का प्रयोग किया था।

लोकसभा और विधानसभा में काफी अंतर रहा
2014 में क्षेत्र क्रमांक दो से भाजपा की सुमित्रा महाजन को कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल के मुकाबले 9,3566 और 2019 में कांग्रेस के पंकज संघवी के मुकाबले भाजपा के शंकर लालवानी को 1,03021 मत अधिक प्राप्त हुए थे। यानी यह क्षेत्र लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के पक्ष में रहा।

इंदौर-2 की रोचक जानकारी

  • 1957 में निर्दलीय और 1972 में भाकपा से होमी दाजी विजयी रहे थे।
  • 1977 के चुनाव में यहां से फूंदीलाल जाट भी मैदान में थे, इन्होंने कई क्षेत्रों से अपना भाग्य आजमाया पर सफलता नहीं मिली।
  • क्षेत्र क्रमांक दो से कम्युनिस्ट नेता होमी दाजी, कॉमरेड अर्जुन सिंह हाडा, ओमप्रकाश खटके, कॉमरेड सोहनलाल शिंदे चुनाव में खड़े होते रहे हैं।
  • वर्ष 2013 में रमेश मेंदोला की छोटु शुक्ला पर विजय प्रदेश में रिकॉर्ड मतों से हुई थी।
  • न्यूनतम दो उम्मीदवार वर्ष 1957 में और सर्वाधिक 25 उम्मीदवार वर्ष 1993 में मैदान में थे।
  • सर्वाधिक मतदान वर्ष 1967 में हुआ था। इसका रिकॉर्ड टूटना शेष है।

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